पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की प्रमुख ममता बनर्जी ने गुरुवार, 1 अगस्त 2024 को, जीवन और स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम पर लगने वाले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को हटाने की मांग की। उन्होंने इस नीति को “जनविरोधी” करार देते हुए केंद्र सरकार से इसकी समीक्षा करने का अनुरोध किया।
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए ममता बनर्जी ने लिखा, “भारत सरकार से हमारी मांग है कि लोगों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं के आधार पर जीवन बीमा और चिकित्सा बीमा प्रीमियम से जीएसटी वापस लिया जाए।”
‘आम आदमी पर बढ़ेगा वित्तीय बोझ’
मुख्यमंत्री बनर्जी ने कहा, “जीएसटी खराब है, क्योंकि यह लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की क्षमता पर उल्टा असर डालता है। बीमा प्रीमियम पर जीएसटी लगाने से आम आदमी पर वित्तीय बोझ बढ़ जाएगा। इससे कई लोगों को नई पॉलिसी लेने में या फिर मौजूदा बीमा कवरेज को जारी रखने में समस्याएं होंगी।” उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि केंद्र सरकार इस जनविरोधी जीएसटी को वापस नहीं लेती है, तो वे सड़क पर उतरने को बाध्य होंगे।
जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक
जीएसटी काउंसिल की बैठक इसी महीने अगस्त में होने वाली है। पिछली बैठक 22 जून 2024 को आयोजित हुई थी। टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी से पहले केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से जीवन बीमा और चिकित्सा बीमा के प्रीमियम पर 18 फीसदी जीएसटी हटाने का अनुरोध किया था।
टीएमसी सांसदों का संसद में विरोध
तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने शुक्रवार, 2 अगस्त 2024 को लोकसभा में जीवन बीमा प्रीमियम और कुछ दवाइयों पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने का कड़ा विरोध किया। उन्होंने इसे वापस लेने की मांग की। टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि दवाओं और जीवन बीमा पर जीएसटी का प्रस्ताव जनविरोधी है।