जयपुर: बांसवाड़ा-डूंगरपुर से लोकसभा सांसद राजकुमार रोत द्वारा ‘भील प्रदेश’ के समर्थन में सोशल मीडिया पर नक्शा साझा किए जाने के बाद राजस्थान की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। विवादित पोस्ट सामने आने के बाद भाजपा के ही कई जनजातीय नेताओं ने रोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मंगलवार को रोत ने फेसबुक और एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक काल्पनिक नक्शा साझा किया, जिसमें राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल क्षेत्रों को मिलाकर ‘भील प्रदेश’ की परिकल्पना दिखाई गई थी। इस पोस्ट में उन्होंने आदिवासी अस्मिता, अधिकारों और स्वतंत्र पहचान की बात की थी। हालांकि पोस्ट कुछ घंटों बाद हटा दी गई, लेकिन तब तक इसका स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका था।
राजनीतिक प्रतिक्रिया देर नहीं लगी। उदयपुर के सांसद मन्नालाल रावत ने कहा कि राजकुमार रोत की सोच समाज में भ्रम फैलाने वाली और अलगाववादी प्रवृत्ति की है, जो देश की एकता के लिए खतरा बन सकती है। रावत का कहना है कि आदिवासी समाज को बरगलाने की साजिश हो रही है। वहीं भाजपा के जनजातीय मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने इस पोस्ट को गंभीर बताते हुए कहा कि रोत अब देशद्रोह और राजद्रोह की रेखा पार कर चुके हैं। खराड़ी ने आरोप लगाया कि यह सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट नहीं, बल्कि संविधानिक व्यवस्था को चुनौती देने की साजिश है।
खराड़ी ने इस मुद्दे को पेपर लीक मामलों से भी जोड़ा और दावा किया कि रोत का संबंध पहले से विवादों में रहे बाबूलाल कटारा जैसे लोगों से है। उन्होंने कहा कि यह पूरा नेटवर्क युवाओं के भविष्य और देश की अखंडता के साथ खिलवाड़ कर रहा है। भाजपा के भीतर से इस तरह के तीखे आरोपों ने पार्टी नेतृत्व को असहज कर दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटनाक्रम भाजपा के भीतर जनजातीय समुदाय से जुड़ी नीतियों और नेतृत्व को लेकर मतभेद का संकेत दे सकता है। खासकर ऐसे समय में जब पार्टी देशभर के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है।
राजकुमार रोत आदिवासी समाज से आते हैं और वे पहले भी जल-जंगल-जमीन के अधिकार, संवैधानिक पहचान और स्वशासन की मांग उठाते रहे हैं। लेकिन इस बार मामला सीधे देश की अखंडता और संवैधानिक ढांचे से जुड़ता दिखाई दे रहा है, जिससे पार्टी की छवि पर असर पड़ सकता है। हालांकि अभी तक भाजपा की ओर से रोत के खिलाफ कोई आधिकारिक अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई है।
कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और वामपंथी दलों ने इस मुद्दे पर अब तक सार्वजनिक प्रतिक्रिया देने से परहेज किया है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्ष इस विवाद को आगे आने वाले समय में बड़ा राजनीतिक हथियार बना सकता है।
वहीं, अब तक राजकुमार रोत की ओर से इस मामले में कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया या सफाई सामने नहीं आई है। लेकिन सोशल मीडिया पर विरोध और समर्थन दोनों तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं, जिससे यह मामला फिलहाल शांत होता नहीं दिख रहा।