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विपक्षी दलों के गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इनक्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A) की कोऑर्डिनेशन कमेटी की बुधवार (13 सितंबर) को पहली बैठक होगी. कमेटी के सभी 13 सदस्य नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार के आवास पर इकट्ठा होंगे और सीट बंटवारे एवं पीएम पद समेत तमाम मुद्दों पर मंथन करेंगे. 1 सितंबर को मुंबई में हुई I.N.D.I.A की तीसरी बैठक में 14 सदस्यीय कमेटी की घोषणा की गई थी, जिसमें गठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं. बैठक से पहले ही सीपीआई(एम) ने हाथ पीछे खींच लिए हैं.
कोऑर्डिनेशन कमेटी की मीटिंग में तृणमूल कांग्रेस और सीपीआईएम शामिल नहीं होंगे. कमेटी में सीपीआईएम की ओर से कौन सदस्य होगा, इसका फैसला 16, 17 सितंबर को पोलित ब्यूरो की बैठक में लिया जाएगा. वहीं, टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी ईडी समन के कारण बैठक में शामिल नहीं होंगे और जेडीयू से ललन सिंह की जगह संजय झा हिस्सा लेंगे.
कमेटी में कौन-कौन?
कोऑर्डिनेशन कमेटी में शरद पवार, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल, डीएमके के टीआर बालू, जेएमएम नेता और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, तणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी, आप सांसद राघव चड्ढा, समाजवादी पार्टी के नेता जावेद अली खान, जेडीयू के ललन सिंह, सीपीआई के डी राजा, नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, पीडीपी प्रमुख मेहबूबा मुफ्ती शामिल हैं. गठबंधन के घटक दलों के बीच समन्वय के लिए बनाई गई कोऑर्डिनेशन कमेटी के सामने सभी दलों के बीच समन्वय स्थापित कर गठबंधन के लिए संयोजक का नाम, सीट बंटवारे और प्रधानमंत्री पद के लिए एक चेहरे पर मुहर लगाने जैसी बड़ी चुनौतियां होंगी.
संयोजक का नाम तय करना
पहली कोऑर्डिनेशन मीटिंग में I.N.D.I.A गठबंधन के लिए संयोजक का नाम भी तय किया जा सकता है. इस पद के लिए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम की काफी चर्चा है. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नाम भी चर्चाओं में हैं और ऐसी भी खबरें हैं कि गठबंधन के एक से ज्यादा संयोजक भी हो सकते हैं.
पश्चिम बंगाल में टीएमसी, कांग्रेस और लेफ्ट में कैसे तालमेल बिठाया जाए?
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और लेफ्ट के बीच टकराव की कहानी पुरानी है. 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मात देने के मकसद से तैयार किए गए गठबंधन की कोऑर्डिनेशन मीटिंग के सामने यह भी बड़ी चुनौती होगी के दोनों के बीच समन्वय कैसे स्थापित किया जाए. हालांकि, सीपीआई(एम) साफ कर चुकी है कि लोकसभा चुनाव के लिए राज्य में टीएमसी के साथ गठबंधन को तैयार नहीं है. 17 जुलाई को सीपीआई(एम) नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि वामपंथी और कांग्रेस के साथ धर्मनिरपेक्ष दल राज्य में बीजेपी के साथ टीएमसी से भी मुकाबला करेंगे. बेंगलुरु में हुई गठबंधन की दूसरी बैठक में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने 2004 वाला मॉडल अपनाने की बात कही थी, जिसके जरिए लेफ्ट और कांग्रेस के गठबंधन के वाली सराकार बनी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने थे.
पंजाब-दिल्ली में आप और कांग्रेस में सामंजस्य बिठाने की चुनौती
एक तरफ आम आदमी पार्टी और कांग्रेस विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A में एक साथ हैं, लेकिन राज्यों में अकेले चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं. पंजाब में आम आदमी पार्टी के नेता कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ने को तैयार नहीं है. मुख्यमंत्री भगवंत मान भी कह चुके हैं कि आप अकेले चुनाव लड़कर जीतना जानती है. वहीं, दिल्ली में अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर से जुड़े दिल्ली सेवा बिल को लेकर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित के बयान से आप भड़क गई थी. संदीप दीक्षित ने दिल्ली की पूरी जिम्मेदारी आप को सौंपे जाने की मांग का विरोध किया था. हालांकि, संसद में दिल्ली सेवा बिल पर कांग्रेस ने आप का समर्थन किया था. इस सबके चलते मीटिंग में आप और कांग्रेस के बीच सामंजस्य बिठाने की भी चुनौती होगी.
केरल में लेफ्ट और कांग्रेस के बीच कैसे बनेगी बात?
केरल में लेफ्ट और कांग्रेस मुख्य प्रतिद्वंदी हैं. हाल ही में हुए पुथुपल्ली उपचुनाव में दोनों दलों ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे थे. केरल में दोनों दलों को कैसे साथ लाया जाए इस पर भी मीटिंग में चर्चा की उम्मीद है.
पीएम पद का चेहरा कौन हो?
लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टक्कर देने के लिए विपक्ष की ओर से पीएम चेहरा कौन होगा इस पर अभी तक एक राय नहीं बन सकी है. इस लिस्ट में सबसे ज्यादा नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, राहुल गांधी, शरद पवार और अरविंद केजरीवाल के नाम की चर्चा हो रही है. जेडीयू के ललन सिंह पहले ही पीएम चेहरे के लिए नीतीश के नाम का सुझाव दे चुके हैं. वहीं, कांग्रेस साफ कर चुकी है कि उसको प्रधानमंत्री पद में दिलचस्पी नहीं है.
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