Thursday, December 12, 2024
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भारत ने 75 नागरिकों को सीरिया से सुरक्षित निकाला: विद्रोह के बाद भारतीय दूतावासों का कुशल प्रबंधन

नई दिल्ली: भारत ने मंगलवार को सीरिया में फंसे अपने 75 नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। यह कदम सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार के विद्रोही बलों द्वारा तख्तापलट के दो दिन बाद उठाया गया। विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस ऑपरेशन की जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए दमिश्क और बेरूत स्थित भारतीय दूतावासों ने इस पूरी प्रक्रिया का प्रबंधन किया।

जम्मू-कश्मीर के तीर्थयात्रियों की सुरक्षित निकासी

विदेश मंत्रालय के अनुसार, निकाले गए नागरिकों में जम्मू-कश्मीर के 44 तीर्थयात्री शामिल थे, जो सैयदा जैनब मजार में फंसे हुए थे। सैयदा जैनब मस्जिद शिया मुस्लिम समुदाय के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। सभी भारतीय नागरिकों को सुरक्षित रूप से लेबनान पहुंचाया गया, जहां से वे वाणिज्यिक उड़ानों के माध्यम से भारत लौटेंगे।

विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि विदेश में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। मंत्रालय के बयान में बताया गया कि दमिश्क और बेरूत के भारतीय दूतावासों के बीच बेहतर समन्वय और कुशल योजना के कारण इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा सका।

सीरिया में विद्रोह और असद का तख्तापलट

सीरिया में 2011 से चल रहे गृह युद्ध का अंत 8 दिसंबर 2024 को विद्रोही बलों द्वारा बशर अल-असद के तख्तापलट के साथ हुआ। विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद असद अपने परिवार सहित देश छोड़कर भाग गए।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने असद और उनके परिवार को राजनीतिक शरण दी है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने पुष्टि की कि यह निर्णय पुतिन का व्यक्तिगत था। हालांकि, असद को रूस में कहां रखा गया है, इस पर कोई जानकारी साझा नहीं की गई।

सैयदा जैनब मजार: शिया समुदाय के लिए पवित्र स्थल

सैयदा जैनब मजार शिया समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है। सैयदा जैनब, पैगंबर मोहम्मद की नवासी और उनकी बेटी फातिमा व दामाद अली की पुत्री थीं। यह मजार दमिश्क में स्थित है और दुनियाभर के शिया मुसलमान यहां सजदा करने आते हैं।

बशर अल-असद शिया समुदाय से संबंधित थे, जो सीरिया में अल्पसंख्यक है। उनके शासन का अंत शियाओं के लिए एक बड़ा संकट बन गया है। अब सैयदा जैनब मजार को सुन्नी विद्रोहियों से संभावित खतरे का सामना करना पड़ रहा है। इस मजार की सुरक्षा के लिए हिज़्बुल्लाह और अन्य शिया लड़ाके तैनात किए गए हैं।

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