नई दिल्ली: भारत ने मंगलवार की मध्यरात्रि को एक अहम अंतरिक्ष मिशन में सफलता प्राप्त की, जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने GSAT-20 संचार उपग्रह को एलन मस्क के स्वामित्व वाले स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट द्वारा अंतरिक्ष में भेजा। यह लॉन्च फ्लोरिडा स्थित केप कैनावेरल से किया गया, जहां से उपग्रह ने अपनी 396वीं उड़ान पर 34 मिनट की यात्रा शुरू की। यह एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि GSAT-20 भारतीय उपमहाद्वीप के दूरदराज़ इलाकों में इंटरनेट सेवाएं और ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
GSAT-20 उपग्रह का महत्व और विशेषताएँ
GSAT-20, जिसे GSAT N-2 भी कहा जाता है, भारत के सबसे उन्नत संचार उपग्रहों में से एक है। इस उपग्रह में 32 उपयोगकर्ता बीम हैं, जिनमें आठ संकीर्ण स्पॉट बीम पूर्वोत्तर क्षेत्र में और 24 विस्तृत स्पॉट बीम पूरे भारत में शामिल हैं। इन बीमों के माध्यम से दूरदराज़ इलाकों में उच्च गुणवत्ता की ब्रॉडबैंड सेवाएं और यात्री विमानों में उड़ान के दौरान इंटरनेट सेवा प्रदान की जाएगी।
इस उपग्रह का मुख्य उद्देश्य भारत के मुख्य भूमि में स्थित हब स्टेशनों द्वारा इन बीमों को सपोर्ट करना है, जिससे इन-फ्लाइट इंटरनेट कनेक्टिविटी को सक्षम बनाया जा सके। साथ ही, यह उपग्रह भारतीय विमानन क्षेत्र में यात्रा के दौरान इंटरनेट सेवा के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।
Liftoff of GSAT-N2! pic.twitter.com/4JqOrQINzE
— SpaceX (@SpaceX) November 18, 2024
स्पेसएक्स की मदद क्यों ली गई?
GSAT-20 का वजन 4700 किलोग्राम है, जो भारतीय रॉकेटों के लिए एक भारी उपग्रह है। भारतीय रॉकेट ‘द बाहुबली’ या लॉन्च व्हीकल मार्क-3 अधिकतम 4000 से 4100 किलोग्राम तक के वजन को अंतरिक्ष में ले जा सकता है। इस कारण, ISRO को विदेशी वाणिज्यिक प्रक्षेपण के लिए स्पेसएक्स का सहारा लेना पड़ा।
भारत पहले भी अपने भारी उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए एरियनस्पेस पर निर्भर था, लेकिन अब तक एरियनस्पेस का कोई भी चालू रॉकेट उपलब्ध नहीं था। चीनी रॉकेट भारतीय उपग्रहों के लिए अनुपयुक्त हैं और रूस का अंतरिक्ष कार्यक्रम यूक्रेन युद्ध के कारण प्रभावित हुआ है, जिससे यह विकल्प भी असमर्थ हो गया। ऐसे में, स्पेसएक्स का रॉकेट एकमात्र विकल्प था।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग में नई दिशा
ISRO और स्पेसएक्स के बीच यह सहयोग भारत की बढ़ती अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं और वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में देश की भूमिका को मजबूत करता है। भारतीय उपग्रहों के लिए ऐसे विदेशी वाणिज्यिक लॉन्च की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त दिला सकता है।
GSAT-20 का लॉन्च: एक ऐतिहासिक उपलब्धि
यह लॉन्च भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, क्योंकि यह भारत के लिए उच्च गुणवत्ता वाली संचार सेवाओं को पूरे देश और दूरदराज़ क्षेत्रों तक पहुंचाने में सहायक होगा। ISRO के अध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मिशन की सफलता की पुष्टि की है और इसे भारत के अंतरिक्ष मिशनों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है।
इस मिशन की सफलता भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमता और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। साथ ही, यह देश के लिए नई तकनीकी और व्यावसायिक संभावनाओं के द्वार खोलने में सहायक होगा, जो आने वाले समय में अंतरिक्ष क्षेत्र में और अधिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करेगा।