भुवनेश्वर, ओडिशा: भारत ने अपनी सामरिक शक्ति को और मजबूती प्रदान करते हुए शुक्रवार को ओडिशा तट के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) से मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-4 का सफल परीक्षण किया। इस परीक्षण को देश की सामरिक बल कमान (SFC) के तत्वावधान में अंजाम दिया गया। रक्षा सूत्रों के अनुसार, यह प्रक्षेपण सभी परिचालनात्मक और तकनीकी मापदंडों के आधार पर पूरी तरह सफल रहा।
परीक्षण का उद्देश्य और महत्व
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, अग्नि-4 मिसाइल का परीक्षण भारत की सामरिक शक्ति को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परीक्षण भारतीय सेना की न्यूनतम प्रतिरोध क्षमता को बनाए रखने के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस मिशन के दौरान सभी परिचालनात्मक मानकों की पुन: पुष्टि की गई, जिसमें मिसाइल की सटीकता और इसके नेविगेशन सिस्टम की दक्षता को परखा गया।
सामरिक बल कमान (SFC) के अधिकारियों ने बताया कि यह एक नियमित प्रशिक्षण प्रक्षेपण था, जिसका उद्देश्य परिचालन संबंधी मानकों की समीक्षा करना था। यह परीक्षण भारत की ‘विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध’ नीति के अंतर्गत किया गया, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश अपनी सामरिक रक्षा प्रणाली को अपडेट और मजबूत बनाए रखे।
अग्नि-4 की विशेषताएँ
अग्नि-4 मिसाइल को भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। इस मिसाइल का कुल वजन 17,000 किलोग्राम है और इसकी लंबाई लगभग 66 फीट है। यह मिसाइल तीन प्रकार के हथियारों को ले जाने में सक्षम है – पारंपरिक, थर्मोबेरिक और रणनीतिक परमाणु हथियार। अग्नि-4 की मारक क्षमता 3,500 से 4,000 किलोमीटर तक है, जो इसे भारत के लिए एक रणनीतिक संपत्ति बनाती है।
इसकी सटीकता का स्तर इतना उच्च है कि यह 100 मीटर के दायरे में अपने लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। मिसाइल 900 किलोमीटर की ऊँचाई तक सीधी उड़ान भर सकती है, और इसका इस्तेमाल अत्यधिक परिशुद्धता के साथ दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने के लिए किया जा सकता है। इसके नेविगेशन और एवियोनिक्स प्रणाली पूरी तरह से डिजिटल है, जो इसे आधुनिक युद्ध की जरूरतों के हिसाब से अत्यधिक सटीक और प्रभावी बनाता है।
लॉन्च सिस्टम और एवियोनिक्स
अग्नि-4 मिसाइल को विशेष रूप से 8×8 ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर या रेल मोबाइल लॉन्चर से दागा जा सकता है, जो इसे कहीं भी तैनात करने और तुरंत प्रक्षेपित करने में सक्षम बनाता है। इसका एवियोनिक्स सिस्टम इतना मजबूत है कि यह बिना किसी त्रुटि के लक्ष्य पर सटीक हमला करने में सक्षम है।
इतिहास और परीक्षणों का रिकॉर्ड
अग्नि-4 मिसाइल का पहला सफल परीक्षण 15 नवंबर 2011 को किया गया था, और तब से अब तक इसके कुल 8 सफल परीक्षण हो चुके हैं। हर बार यह मिसाइल अपने तय मानकों पर खरी उतरी है और भारतीय सामरिक बलों की विश्वसनीयता को मजबूत किया है। मिसाइल के डिजाइन और संचालन में DRDO की भूमिका विशेष रूप से उल्लेखनीय रही है, जिसने इसे दुनिया के सबसे भरोसेमंद मिसाइलों में शामिल किया है।
भविष्य की संभावनाएँ
अग्नि-4 की उच्च तापमान सहने की क्षमता इसे और भी विशिष्ट बनाती है। यह मिसाइल 3,000 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सह सकती है, जो इसे वायुमंडल में प्रवेश के दौरान अत्यधिक गर्मी में भी प्रभावी बनाए रखती है। विशेषज्ञों के अनुसार, भविष्य में इस मिसाइल का उपयोग अंतरिक्ष में किसी भी प्रकार के सैन्य हमले के लिए भी किया जा सकता है।