नई दिल्ली: भारत-चीन के बीच संबंधों को एक नए चरण में ले जाते हुए दोनों देशों ने सीधी उड़ानों और कैलाश मानसरोवर यात्रा को पुनः शुरू करने पर चर्चा की है। यह वार्ता सोमवार को ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच हुई। दोनों नेताओं ने सीमा विवाद और द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
लद्दाख में गतिरोध के समाधान के बाद पहली उच्च स्तरीय बैठक
यह बैठक पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी प्रक्रिया पूरी होने के बाद आयोजित हुई, जो पिछले चार वर्षों से दोनों देशों के बीच तनाव का कारण बनी हुई थी। इस समाधान से क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाने में मदद मिली है।
2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानें बंद कर दी गई थीं, जो अब तक पुनः शुरू नहीं हुई हैं। इसके अलावा, कैलाश मानसरोवर यात्रा, जिसे भगवान शिव के निवास के रूप में माना जाता है, भी महामारी के समय से रुकी हुई है।
जी20 शिखर सम्मेलन में चर्चा
विदेश मंत्री जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जानकारी दी कि बैठक में सीमा क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी की प्रगति की समीक्षा की गई और द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा देने पर चर्चा हुई। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच कजान में हुई बैठक में बनी सहमति को लागू करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
ब्रिक्स और जी20 मंचों पर सक्रिय सहयोग
जयशंकर ने कहा कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और जी20 बैठक दोनों में भारत और चीन का योगदान महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में दोनों देशों के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि द्विपक्षीय संबंध वैश्विक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
वहीं, वांग यी ने कहा कि भारत और चीन को नेताओं की सहमति को लागू करना चाहिए, आपसी विश्वास बढ़ाना चाहिए और मतभेदों को ईमानदारी से सुलझाना चाहिए। उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर और स्वस्थ विकास की दिशा में ले जाने पर जोर दिया।
सीमा विवाद का समाधान और अगले कदम
भारत और चीन के बीच अक्टूबर में सीमा विवाद के समाधान के बाद दोनों देशों ने गश्त गतिविधियां पुनः शुरू कर दी हैं। जयशंकर और वांग यी ने विभिन्न वार्ता तंत्रों को सक्रिय करने और विशेष प्रतिनिधियों की बैठक आयोजित करने की दिशा में प्रगति की समीक्षा की।
संबंधों को नई दिशा देने की प्रतिबद्धता
जयशंकर ने कहा, “हमने सीमा क्षेत्रों में हुई प्रगति की सराहना की और अगले कदमों पर चर्चा की। यह अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हमारे महत्व का प्रतीक है।” दोनों देशों ने सामरिक संवाद बढ़ाने और आपसी हितों का सम्मान करते हुए संबंधों को सुधारने की प्रतिबद्धता जताई।