चिड़ावा: पितृ पक्ष के पावन अवसर पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस पर पंडित प्रभुशरण तिवाड़ी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का चरित्र हर युग के मानव के मन में अबाध रूप से चलने वाली प्रक्रिया है। कथा में कृष्ण की बाल लीलाओं, गोवर्धन धारण की झांकी और भजनों की सुंदर प्रस्तुति ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।
पंडित प्रभुशरण तिवाड़ी ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जीवन हर युग के लिए आदर्श चरित्र है, वहीं भगवान श्रीकृष्ण का चरित्र जीवात्मा के मन में निरंतर चलने वाली चेतना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भागवत में वर्णित कंस, पूतना, कालिया, बकासुर और अघासुर वास्तव में मनुष्य के अंदर छिपे अभिमान, क्रोध, मोह, लोभ और अहंकार के प्रतीक हैं।
कथा के दौरान पूतना वध, कालिया दहन, बकासुर और अघासुर वध के साथ गोवर्धन धारण की लीला का विस्तार से वर्णन किया गया। गोवर्धन धारण की सजीव झांकी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रही। साथ ही भजनों की मनमोहक प्रस्तुति ने वातावरण को भक्ति रस से भर दिया।
कथा की शुरुआत में यजमान रामवतार शर्मा और उनकी पत्नी कलावती देवी ने परिवार सहित वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भागवत एवं व्यास पूजन किया।
कार्यक्रम में महेंद्र शर्मा, अशोक शर्मा, प्रमोद शर्मा, अनिल शर्मा, वेद प्रकाश, सुशील कुमार, विनोद कुमार लाम्बीवाला, पंडित आदित्यनायण सुरोलिया, विनोद खंडेलवाल, सुरेश खंडेलवाल, मोतीलाल लांबीवाला, सांवरमल गहलोत, कमल शर्मा, सांवरमल उदयपुरिया, सुनील शर्मा, राकेश शर्मा, शंकर लाल शर्मा, संजय शर्मा, गोपाल लाठ, गोपाल चौहान, विश्वनाथ ढाढ़ौतिया, श्याम सुंदर साखुवाला, राजेश दायमा, रतनलाल गोयल, सुभाष धाबाई, सिद्धार्थ शर्मा और अजय शर्मा सहित बड़ी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालु उपस्थित रहे।
कथा के दौरान वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा और सामूहिक भक्ति की अनोखी छवि दिखाई दी। लोगों ने माना कि कृष्ण चरित्र केवल पौराणिक कथा नहीं, बल्कि मानव जीवन की गहरी आध्यात्मिक शिक्षा है।






