पिलानी: बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस पिलानी का 60वां दीक्षांत समारोह तथा स्थापना दिवस रविवार को बिट्स के मुख्य सभागार में आयोजित किया गया। इस समारोह में संस्थान के 1483 स्टूडेंट्स को डिग्रियां प्रदान की गईं, जिनमें 1010 स्नातक डिग्रियां, 377 स्नातकोत्तर डिग्रियां और 96 डॉक्टरेट डिग्रियां शामिल थीं। इसरो चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ कन्वोकेशन के मुख्य अतिथि थे जबकि माइक्रोन टेक्नोलॉजी के अध्यक्ष संजय मेहरोत्रा विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल हुए। बीआईटीएस पिलानी के चांसलर बिजनेस टायकून कुमार मंगलम बिड़ला ने संस्थान की 60 वर्षों की शिक्षा में उत्कृष्टता की उपलब्धि को चिह्नित किया। बीआईटीएस पिलानी ने हीरक जयंती समरोह में $100 मिलियन का एंडोमेंट फंड भी शुरू किया है, जिससे संस्थान को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के अवसर मिलेंगे।
चांसलर कुमार मंगलम बिड़ला ने बीआईटीएस पिलानी की भूमिका को विचारकों और नवोन्मेषकों की पीढ़ियों को आकार देने में महत्वपूर्ण बताया और कहा कि इस संस्थान ने न केवल ज्ञान प्रदान किया बल्कि महत्वाकांक्षी सपने देखने और उनके लिए निरंतर प्रयास करने की क्षमता भी विकसित की है। उन्होंने छात्रों को प्रौद्योगिकी, उद्यमिता, और सतत विकास जैसे क्षेत्रों में उपलब्ध अवसरों को अपनाने के लिए प्रेरित किया।
इसरो चेयरमैन डॉ सोमनाथ ने बताया कि आने वाले कुछ वर्षों में भारत चांद पर मानव मिशन की दिशा में आगे बढ़ रहा है जो कि देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि होगी। उन्होंने कहा कि यह केवल चाँद तक पहुँचने की यात्रा नहीं है, बल्कि ऐसा करने के लिए, हमें बहुत सारी तकनीक की आवश्यकता है। इसलिए हमने अब एक कार्यक्रम शुरू किया है और सरकार ने भी अगले 5 से 6 वर्षों में इस योजना के लिए हमें लगभग 30,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है।यह केवल चाँद तक पहुँचने की यात्रा नहीं है, बल्कि ऐसा करने के लिए, हमें बहुत सारी तकनीक की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के परिवर्तन में अंतरिक्ष तक पहुँच के मामले में बहुत सुधार हुआ है। आज रॉकेट लॉन्च करना या किसी चीज़ या किसी व्यक्ति को चाँद पर भेजना इतना मुश्किल नहीं है। आज पूरा अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र काफी बदल गया है और आप देख सकते हैं कि अंतरिक्ष तक पहुंच बहुत अधिक है। आज कोई भी वास्तव में एक उपग्रह लॉन्च कर सकता है। यह विश्वविद्यालयों में किया जा सकता है, यह संस्थानों में किया जा सकता है और प्रति किलोग्राम एक उपग्रह के प्रक्षेपण की लागत इतनी कम हो गई है कि आज अंतरिक्ष में 20,000 उपग्रह हैं। डॉ सोमनाथ ने कहा कि एलोन मस्क मंगल ग्रह पर मानव भेजने, मंगल ग्रह पर बस्तियाँ बनाने के बारे में बोल रहे हैं और कहते हैं कि वे वहाँ 2 लाख लोगों की एक कॉलोनी बनाएंगे। भारत के लिए भी यह एक बड़ा अवसर है क्योंकि हम बहुत ही किफायती और कम लागत वाली इंजीनियरिंग के लिए जाने जाते हैं। मंगल और चंद्रमा पर हमने जो मिशन किया, वह अब तक का सबसे कम लागत वाला मिशन था, जिसने हमें दुनिया भर में बहुत सम्मान दिया। उन्होंने इसरो के एक नए वेंचर के बारे में बताया, जिसमें नए निजी अंतरिक्ष कंपनियों और उद्यमों का स्वागत किया जा रहा है ताकि भारत के मिशन को पूरा करने में मदद मिल सके। डॉ. सोमनाथ ने उद्योग और शिक्षा जगत को मिलकर देश की प्रगति और सतत दुनिया बनाने के लिए काम करने की आवश्यकता पर बल दिया।
दीक्षांत समारोह में बीआईटीएस पिलानी ने कैंपस के तीन छात्रों को उनके असाधारण शैक्षणिक प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया। पार्थ सारथी पुरकायस्थ, अनन्या सिंह और शाह जैनिल धर्मिल को क्रमशः स्वर्ण पदक, रजत पदक और कांस्य पदक प्रदान किए गए। समारोह में विभिन्न श्रेणियों में पूर्व छात्रों को भी सम्मानित किया गया। “बीआईटीएस रत्न पुरस्कार 2024” के तहत प्रतुल श्रॉफ और रणवीर त्रेहन को सम्मानित किया गया। अकादमिक और अनुसंधान श्रेणी में, उद्यमिता / सार्वजनिक जीवन / परोपकार श्रेणी में, बीआईटीएस यंग एल्युमनस अचीवमेंट अवार्ड 2024, डिस्टिंग्विश्ड सर्विसेज अवार्ड 2023, सर्वश्रेष्ठ पीएचडी थीसिस और उत्कृष्ट अनुसंधान के लिए मेमोरियल अवार्ड 2024 तथा अन्य श्रेणियों में भी अवॉर्ड दिए गए।
अकादमिक रैली का नेतृत्व कर्नल सौम्यब्रत चक्रवर्ती (सेवानिवृत्त), रजिस्ट्रार, बीआईटीएस पिलानी ने किया। बीआईटीएस पिलानी के कुलपति प्रोफेसर वी. रामगोपाल राव, प्रोफेसर सुधीर कुमार बराई (निदेशक, बीआईटीएस पिलानी) सहित संस्थान के पदाधिकारी, फैकल्टी, स्टूडेंट्स व अन्य प्रबुद्धजन समारोह में शामिल हुए।
सराह के अंत में बीआईटीएस चांसलर कुमार मंगलम बिड़ला ने स्नातकों को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं और उन्हें देश की सेवा करने के लिए प्रेरित किया। कुलपति प्रोफेसर वी. रामगोपाल राव ने संस्थान के भविष्य के लक्ष्यों के बारे में बताया।