बाड़मेर, राजस्थान: बाड़मेर रेलवे स्टेशन परिसर मंगलवार सुबह अचानक पुलिस कंट्रोल रूम पर आई एक कॉल के बाद पुलिस छावनी में तब्दील हो गया। कुछ ही मिनटों बाद एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, और रेलवे की टीम मौके पर पहुंच गई। उन्होंने रेलवे ट्रैक पर पटरी से उतरे डिब्बों को देखकर तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। एक घंटे की कठिन मेहनत के बाद सभी घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया। बाद में पता चला कि यह सब स्टेशन की सुरक्षा परखने के लिए आयोजित मॉक ड्रिल का हिस्सा था।
सायरन और एम्बुलेंस की आवाज ने मचाई खलबली
बाड़मेर जिला मुख्यालय के रेलवे स्टेशन पर बजते सायरन और सरपट दौड़ती अग्निशामक गाड़ियों की आवाज सुनकर स्थानीय लोग सहम गए। स्टेशन के परिसर में रेलवे यार्ड का दृश्य काफी भयानक था, जहां दो रेल बोगियां एक-दूसरे पर चढ़ी हुई थीं। इस स्थिति को देखकर लोग घबरा गए और तत्काल पुलिस प्रशासन को सूचित किया गया। सूचना मिलते ही एनडीआरएफ की टीम ने तुरंत मोर्चा संभाला और बोगियों को काटकर लोगों को बाहर निकाला। जब लोगों को यह जानकारी मिली कि यह सब एनडीआरएफ का मॉक ड्रिल था, तब जाकर उन्होंने राहत की सांस ली।
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पूर्ण जानकारी: एनडीआरएफ द्वारा आयोजित मॉक ड्रिल
दरअसल, बाड़मेर रेलवे स्टेशन पर एनडीआरएफ द्वारा एक भीषण रेल हादसे का जीवंत मॉक ड्रिल आयोजित किया गया था। इस मॉक ड्रिल में लगभग 300 कार्मिकों ने भाग लिया, जिसमें एनडीआरएफ के आला अधिकारी और रेलवे के एडीआरएम राकेश कुमार भी उपस्थित रहे। राकेश कुमार ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए कहा कि इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य यह दिखाना था कि रेल हादसों के दौरान एनडीआरएफ, सिविल डिफेंस, एसडीआरएफ, पुलिस, प्रशासन, रेलवे और जीआरपीएफ कैसे मिलकर काम करते हैं।
एनडीआरएफ के असिस्टेंट कमांडेंट योगेश कुमार ने भी इस घटना पर टिप्पणी करते हुए बताया कि उन्हें रेल हादसे की सूचना मिली थी। जब वे मौके पर पहुंचे, तो पाया कि रेल के डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इसके बाद उन्होंने घायल यात्रियों को बाहर निकालने के लिए तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया।