नई दिल्ली: बांग्लादेश में कई दिनों की अशांति और राजनीतिक उथल-पुथल के बाद, नोबेल शांति पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने गुरुवार को अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली। उनके इस पद संभालने के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें बधाई दी है और बांग्लादेश में शांति और स्थिरता की कामना की है।
पीएम मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुहम्मद यूनुस को शपथ ग्रहण के बाद बधाई दी और बांग्लादेश में सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा, “प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस को उनकी नई जिम्मेदारियों के लिए शुभकामनाएं। हम हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए सामान्य स्थिति की त्वरित वापसी की उम्मीद करते हैं। भारत शांति, सुरक्षा और विकास के लिए बांग्लादेश के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
राहुल गांधी ने दी बधाई
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी प्रोफेसर यूनुस को बधाई दी और शांति की शीघ्र बहाली की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक फोटो पोस्ट करते हुए कहा, “बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ लेने पर प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस को बधाई। शांति और सामान्य स्थिति की त्वरित बहाली समय की मांग है।”
शेख हसीना का इस्तीफा
वर्तमान राजनीतिक उथल-पुथल की पृष्ठभूमि में, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़ दिया। शेख हसीना के इस्तीफे के तीन दिन बाद मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को देश में नए सिरे से चुनाव कराने का कार्य सौंपा गया है।
प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस की पृष्ठभूमि
84 वर्षीय प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस, जिन्हें “गरीबों के बैंकर” के रूप में जाना जाता है, ने 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त किया था। उन्होंने ग्रामीण बैंक की स्थापना की, जिसने गरीबों को छोटे-छोटे कर्ज प्रदान कर उन्हें गरीबी से बाहर निकाला। उनके इस कर्ज देने के मॉडल ने दुनियाभर में कई अन्य योजनाओं को प्रेरित किया है। यूनुस ने अमेरिका में भी ग्रामीण अमेरिका नामक एक गैर-लाभकारी संस्था की शुरुआत की।
यूनुस का राजनीतिक करियर में कदम रखते हुए उन्होंने 2007 में अपनी खुद की पार्टी भी बनाई, लेकिन इसके बाद शेख हसीना से विवाद उत्पन्न हुआ। हसीना ने यूनुस पर ‘गरीबों का खून चूसने’ का आरोप भी लगाया था। अब, बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य में यूनुस की भूमिका पर नजर रखना दिलचस्प होगा, और यह देखने की बात होगी कि वह देश को स्थिरता की ओर कैसे ले जाते हैं।