नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती के स्टार बजरंग पूनिया पर नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (NADA) ने सख्त कार्रवाई करते हुए चार साल का प्रतिबंध लगाया है। यह प्रतिबंध एंटी डोपिंग कोड के उल्लंघन के कारण लगाया गया है, जिससे उनके खेल करियर पर बड़ा संकट मंडराने लगा है। अब इस दौरान बजरंग न केवल प्रतिस्पर्धी कुश्ती में भाग ले सकते हैं, बल्कि कोचिंग भी नहीं दे पाएंगे।
डोपिंग परीक्षण में नमूना देने से इनकार बना कारण
NADA ने 26 नवंबर को अपने आदेश में कहा कि बजरंग पूनिया ने 10 मार्च को नेशनल टीम के लिए सेलेक्शन ट्रायल के दौरान डोप परीक्षण के लिए नमूना देने से इनकार कर दिया था। इससे पहले, NADA ने उन्हें 23 अप्रैल को बैन किया था, जिसके बाद यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) ने भी उन्हें प्रतिबंधित कर दिया।
बजरंग ने इस बैन को चुनौती देते हुए अपील की थी, जिसके बाद NADA के अनुशासनात्मक डोपिंग पैनल (ADDP) ने 31 मई को यह बैन रद्द कर दिया। लेकिन 23 जून को NADA ने पुनः उन्हें नोटिस भेजा और 20 सितंबर व 4 अक्टूबर को सुनवाई की।
बजरंग पूनिया का बयान
बजरंग ने कहा कि यह प्रतिबंध उनके विरोध प्रदर्शनों का परिणाम है। उन्होंने कहा कि पूर्व रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ आंदोलन में शामिल होने के कारण उनके साथ पक्षपात किया गया। बजरंग ने दावा किया कि उन्होंने नमूना देने से इनकार नहीं किया, बल्कि केवल NADA से प्रतिक्रिया मांगी थी कि दिसंबर 2023 में उनके नमूने के लिए एक्सपायर किट क्यों भेजी गई।
NADA का पक्ष
NADA ने इस मामले में स्पष्ट किया कि बजरंग ने जानबूझकर डोप परीक्षण में नमूना देने से इनकार किया। पैनल ने अपने आदेश में कहा कि एथलीट ने अनुच्छेद 10.3.1 के तहत प्रतिबंध के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है और 4 साल की अवधि के लिए अयोग्य घोषित किया गया। यह प्रतिबंध 23 अप्रैल 2024 से लागू होगा।
बजरंग पूनिया का कुश्ती करियर
हरियाणा के झज्जर जिले में जन्मे बजरंग पूनिया ने अपने कुश्ती करियर में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। उनके पिता बलवान सिंह भी एक पहलवान थे। 14 साल की उम्र में बजरंग ने अखाड़े में प्रशिक्षण शुरू किया और ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त से कुश्ती की बारीकियां सीखीं।
बजरंग पहली बार 2013 में एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप और विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर सुर्खियों में आए। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में घुटने की चोट से उबरते हुए कांस्य पदक जीता, जो उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है।