पुरी, ओड़िशा: पुरी में भगवान जगन्नाथ की जमीन पर अवैध कब्जा और बिक्री के प्रयासों को लेकर राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने रविवार को स्पष्ट किया कि सरकार इस मामले में कोई कोताही नहीं बरतेगी और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
मंदिर प्रशासन की शिकायत के बाद हरकत में आई सरकार
शनिवार को श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने पुरी के बेसेली साही पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि भगवान जगन्नाथ से संबंधित जमीन को अवैध रूप से बेचने का प्रयास किया जा रहा है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कानून मंत्री ने कहा, “भगवान जगन्नाथ की एक इंच जमीन की भी अनाधिकृत बिक्री बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
दोषियों पर होगी सख्त कार्रवाई
मीडिया से बात करते हुए मंत्री हरिचंदन ने कहा कि इस अवैध गतिविधि में शामिल सभी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, “यदि जमीन का हस्तांतरण हुआ है, तो विक्रेता, खरीदार, और वह उप-रजिस्ट्रार, जिसने जमीन के दस्तावेजों का सत्यापन किया, सभी को जांच के दायरे में लाया जाएगा।”
मंदिर की भूमि प्रबंधन पर सरकार की योजना
कानून मंत्री ने बताया कि ओडिशा सरकार 2003 में बनाई गई नीति के तहत जगन्नाथ मंदिर की भूमि के उचित प्रबंधन और निपटान के लिए कदम उठाने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि अधिकतर भूमि पार्सल अतिक्रमण के अधीन हैं। इस नीति का उद्देश्य मंदिर के लिए एक बड़ा कोष बनाना है, जो मंदिर की प्रगति और धार्मिक गतिविधियों के लिए उपयोगी होगा।
मंदिर प्रशासन ने की त्वरित कार्रवाई की अपील
श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी ने पुरी जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से तत्काल कार्रवाई करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अवैध बिक्री के प्रयास को रोकना और मंदिर की जमीन को सुरक्षित रखना प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए।
जगन्नाथ मंदिर की संपत्ति का ब्योरा
पुरी के श्रीजगन्नाथ मंदिर के पास ओडिशा के 24 जिलों में फैली लगभग 60,426 एकड़ जमीन है। इसके अतिरिक्त, राज्य के बाहर 395 एकड़ भूमि है। यह संपत्ति मंदिर की धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।