इस्लामाबाद, पाकिस्तान: भारत के सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की वैश्विक स्तर पर सराहना हो रही है। इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क पर करारा प्रहार करते हुए भारत की रणनीतिक और सैन्य क्षमताओं को प्रदर्शित किया है। वहीं, पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंच पर किरकिरी से बचने के लिए झूठे प्रचार का सहारा ले रहा है। झूठे सैन्य दावों और नकली प्रचार अभियानों से पाकिस्तान एक बार फिर हास्य का पात्र बन गया है।

फेक फोटो ने खोल दी पोल
हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को एक हाई-प्रोफाइल डिनर के दौरान उपहार में दी गई एक पेंटिंग सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है। यह पेंटिंग पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर द्वारा भेंट की गई थी, जिसे पाकिस्तान द्वारा चलाए गए सैन्य ऑपरेशन बनयान-उन-मर्सूस का प्रतीक बताया गया।
लेकिन यह दावा जल्द ही झूठा साबित हो गया जब इंटरनेट पर तेज़ नजर रखने वाले सोशल मीडिया यूजर्स ने खुलासा किया कि यह पेंटिंग दरअसल चीनी सेना (PLA) के चार साल पुराने सैन्य अभ्यास की तस्वीर से हूबहू मिलती है।
सोशल मीडिया पर उठा सवाल: “कहां का हमला, कहां की जीत?”
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लोगों ने इस फर्जीवाड़े पर जमकर पाकिस्तान की आलोचना की:
- एक ट्विटर यूजर ने लिखा,
“ऐसा लगता है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने भारत के खिलाफ जीत के नाम पर प्रधानमंत्री को गूगल से डाउनलोड की गई चीन की सैन्य तस्वीर भेंट कर दी।” - एक इंस्टाग्राम पोस्ट में तंज कसते हुए कहा गया,
“चीनी PHL-03 रॉकेट लॉन्चर की मॉर्फ की गई फोटो शहबाज शरीफ को दी गई – ये पाकिस्तान के लिए एक और शर्मनाक क्षण है।” - फेसबुक पर एक उपयोगकर्ता ने व्यंग्य में लिखा,
“फील्ड मार्शल असीम मुनीर को चीन के पोस्टर के लिए भारत से युद्ध सम्मान मिल जाना चाहिए।”

फील्ड मार्शल के दर्जे पर भी उठे सवाल
गौरतलब है कि असीम मुनीर को हाल ही में पाकिस्तान ने ‘फील्ड मार्शल’ का पद दिया है, जो परंपरागत रूप से युद्ध में निर्विवाद जीत प्राप्त करने वाले जनरलों को ही दिया जाता है। ऐसे में एक फेक तस्वीर को सैन्य जीत का प्रमाण बताकर प्रधानमंत्री को भेंट करना न केवल उनकी रणनीतिक समझ पर सवाल खड़े करता है, बल्कि पाकिस्तान की सैन्य प्रतिष्ठा को भी गंभीर नुकसान पहुंचाता है।