नई दिल्ली: संसद का मानसून सत्र इन दिनों सुरक्षा मुद्दों को लेकर खासा गरमाया हुआ है। सोमवार को शुरू हुई पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा मंगलवार को भी जारी रही। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, कांग्रेस की प्रियंका गांधी, AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी सहित कई नेताओं ने अपनी बात रखी।
चर्चा की शुरुआत सोमवार को रक्षा मंत्री ने की, जिसमें उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का जिक्र करते हुए बताया कि भारतीय सेना ने आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में दुश्मन के ठिकानों को नेस्तनाबूद किया। मंगलवार को विपक्ष की ओर से पहलगाम हमले को लेकर कई तीखे सवाल उठाए गए, जिनका जवाब अमित शाह और पीएम मोदी ने दिया।
विपक्ष ने पूछा कि पहलगाम में सुरक्षा चूक कैसे हुई, हमलावर घाटी में कहां से घुसे, और आखिर हमले के लिए कौन जिम्मेदार था? इस पर गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार इस पूरे मामले की जिम्मेदारी लेती है। उन्होंने बताया कि पहलगाम हमले के तुरंत बाद वे स्वयं श्रीनगर पहुंचे और वहां आवश्यक कार्रवाई की गई। उन्होंने बताया कि अमरनाथ यात्रा शुरू होने से पहले बैसारन घाटी में सुरक्षा तैनात नहीं रहती, इसी कारण शुरुआती वक्त में कमी रही।
विपक्षी सांसदों ने यह भी पूछा कि आतंकियों को मारने के लिए ऑपरेशन महादेव सावन के सोमवार को ही क्यों किया गया? इस पर पीएम मोदी ने जवाब देते हुए कहा कि कई सप्ताह से विपक्ष सवाल उठा रहा था कि आतंकियों का क्या हुआ, और जब उन्हें मार गिराया गया तो अब सवाल उठाया जा रहा है कि कल ही क्यों? यह सब राजनीति से प्रेरित बयानबाजी है।
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने पूछा कि जब हमला हुआ तो आईबी प्रमुख और गृह मंत्री ने इस्तीफा क्यों नहीं दिया? जवाब में अमित शाह ने कहा कि विपक्ष की सोच सत्ता तक सीमित है, जबकि सरकार आतंक के खिलाफ ठोस नीति पर चल रही है। उन्होंने कहा कि 2004 से 2014 के बीच देश में 7217 आतंकी घटनाएं हुईं, जबकि 2014 के बाद यह संख्या घटकर 2150 रह गई, जिसमें अधिकांश कश्मीर केंद्रित और पाकिस्तान प्रेरित थीं।
प्रियंका गांधी और गौरव गोगोई ने यह भी पूछा कि पहलगाम हमले के दोषियों का क्या हुआ? इस पर गृह मंत्री ने बताया कि हमले के तीनों मुख्य आरोपी—सुलेमान, जिबरान और अबू हमजा—को ऑपरेशन महादेव के तहत ढेर कर दिया गया है।
ट्रंप के सीजफायर संबंधी कथन को लेकर भी विपक्ष ने सवाल किया। इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर और पीएम मोदी दोनों ने स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं रही। पाकिस्तान के DGMO ने खुद सीजफायर की अपील की थी।
मल्लिकार्जुन खरगे ने यह मुद्दा उठाया कि प्रधानमंत्री सर्वदलीय बैठक में क्यों शामिल नहीं हुए। जवाब में जेडीयू सांसद ललन सिंह ने बताया कि 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री की पहले से तय बिहार यात्रा थी, इसलिए वे बैठक में उपस्थित नहीं हो सके।
एक तीखा सवाल कांग्रेस की ओर से यह भी था कि जब मौका मिला था तो भारत ने POK क्यों नहीं लिया? इस पर पीएम मोदी ने पलटवार करते हुए कहा कि सवाल करने वालों को यह जवाब पहले खुद देना होगा कि 1971 में पाकिस्तान को पीछे धकेलने के बाद POK क्यों नहीं लिया गया। उस समय जो चूक हुई, उसका खामियाजा आज भी देश भुगत रहा है।
संसद में चल रही इस बहस ने जहां विपक्ष को सरकार से जवाब मांगने का मौका दिया, वहीं सरकार ने भी अपने रुख को मजबूती से रखा और देश की सुरक्षा पर अपना पक्ष स्पष्ट किया। चर्चा अभी जारी है और आने वाले दिनों में इसके और भी आयाम सामने आ सकते हैं।