संबित पात्रा का दावा: अवैध घुसपैठियों के कारण दिल्ली के डेमोग्राफिक पैटर्न में बड़ा बदलाव, आम आदमी पार्टी की भूमिका संदिग्ध
नई दिल्ली। दिल्ली में बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्या शरणार्थियों की बढ़ती आबादी को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गहरी चिंता व्यक्त की है। सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के एक शोध रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि दिल्ली के कई क्षेत्रों में अवैध घुसपैठियों के कारण जनसंख्या संरचना में खतरनाक बदलाव आ रहा है।
114 पन्नों की रिपोर्ट में खुलासा – अवैध घुसपैठियों का नेटवर्क दिल्ली में सक्रिय
संबित पात्रा ने कहा कि जेएनयू के एक शोध अध्ययन के अनुसार, दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में बांग्लादेशी और म्यांमार के रोहिंग्या घुसपैठियों की बढ़ती संख्या न केवल सामाजिक और आर्थिक संतुलन को बिगाड़ रही है बल्कि सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर रही है।
उन्होंने कहा, “यह 114 पन्नों की रिपोर्ट दर्शाती है कि पिछले एक दशक में दिल्ली में जो बदलाव आए हैं, वे केवल शहरीकरण के कारण नहीं बल्कि अवैध घुसपैठियों के बढ़ते प्रभाव के कारण भी हैं। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि दिल्ली अब वैसी नहीं रही जैसी 10 साल पहले थी।”
प्रमुख इलाके प्रभावित, स्थानीय रोजगार पर असर
रिपोर्ट में दिल्ली के सीलमपुर, जाफराबाद, बाबरपुर, गोकलपुरी और द्वारका जैसे क्षेत्रों का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है, जहां अवैध घुसपैठियों का बसेरा तेजी से बढ़ रहा है। पात्रा के अनुसार, इन क्षेत्रों में घुसपैठियों ने न केवल अनधिकृत रूप से कब्जा जमाया है बल्कि स्थानीय श्रमिकों के रोजगार पर भी कब्जा कर लिया है।
“जो काम पहले पूर्वांचल और अन्य राज्यों के मेहनतकश मजदूर करते थे, अब वहां बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों ने अपनी पकड़ बना ली है। इससे न केवल रोजगार के अवसर कम हुए हैं बल्कि स्थानीय लोगों की आय पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है,” पात्रा ने कहा।
फर्जी दस्तावेजों के जरिए अवैध पहचान, आर्थिक संसाधनों पर कब्जा
संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि ये घुसपैठिए फर्जी पहचान पत्र और दस्तावेजों के सहारे न केवल सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं बल्कि आर्थिक अपराधों में भी संलिप्त हैं।
उन्होंने कहा, “रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अवैध घुसपैठिए फेक आइडेंटिटी कार्ड्स का इस्तेमाल करके बैंक खाते खोल रहे हैं, सरकारी सुविधाएं प्राप्त कर रहे हैं और यहां तक कि वोटर लिस्ट में भी नाम दर्ज करवा रहे हैं। यह स्थिति न केवल दिल्ली की सुरक्षा के लिए खतरा है बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को भी कमजोर कर रही है।”
आम आदमी पार्टी पर गंभीर आरोप, राजनीतिक संरक्षण का दावा
प्रेस कॉन्फ्रेंस में संबित पात्रा ने आम आदमी पार्टी (AAP) पर भी निशाना साधते हुए दावा किया कि अवैध घुसपैठियों को बसाने में पार्टी की भूमिका संदिग्ध है।
“इस पूरे नेटवर्क को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है। रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि कुछ राजनीतिक दल वोट बैंक की राजनीति के तहत इन घुसपैठियों को संरक्षण दे रहे हैं। आम आदमी पार्टी का इसमें ‘क्रूशियल रोल’ है, जो बेहद चिंताजनक है,” पात्रा ने आरोप लगाया।
अवैध नेटवर्क में मौलवी, इनफॉर्मर और ब्रोकर भी सक्रिय
रिपोर्ट में यह भी उजागर किया गया है कि अवैध घुसपैठियों को दिल्ली में बसाने के लिए एक मजबूत नेटवर्क काम कर रहा है, जिसमें मौलवी, इनफॉर्मर और ब्रोकर की महत्वपूर्ण भूमिका है।
पात्रा ने कहा, “इन अवैध नेटवर्क के जरिए फर्जी दस्तावेज बनाए जा रहे हैं और लोगों को गुमराह कर अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। यह न केवल दिल्ली की आंतरिक सुरक्षा के लिए बल्कि देश की संप्रभुता के लिए भी एक गंभीर खतरा है।”
भाजपा की मांग: सख्त जांच और कार्रवाई आवश्यक
भारतीय जनता पार्टी ने इस पूरे मामले पर सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है। भाजपा की मांगें:
- बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
- दिल्ली में अवैध प्रवासियों के नेटवर्क की जांच के लिए एक स्वतंत्र जांच आयोग का गठन किया जाए।
- इस मामले में शामिल राजनीतिक दलों और व्यक्तियों की भूमिका की भी गहन जांच हो।
निष्कर्ष: सुरक्षा, रोजगार और राजनीति के बीच उलझता दिल्ली का भविष्य
दिल्ली की बदलती जनसांख्यिकी को लेकर भाजपा के आरोप और जेएनयू की रिपोर्ट ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। सवाल उठ रहे हैं कि:
- क्या वास्तव में दिल्ली में अवैध घुसपैठियों का इतना बड़ा नेटवर्क सक्रिय है?
- क्या इस पूरे मामले के पीछे कोई राजनीतिक साजिश है?
- और सबसे अहम, क्या दिल्ली की सुरक्षा पर मंडरा रहा यह खतरा सही मायनों में उतना ही बड़ा है जितना दावा किया जा रहा है?
इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में स्पष्ट होंगे। लेकिन इतना तय है कि दिल्ली की राजनीति और प्रशासन को अब इस मुद्दे पर नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।