केरल हाईकोर्ट: केरल में एक समलैंगिक शख्स ने अपने पार्टनर के शव को हासिल करने के लिए केरल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इसकी वजह ये है कि उसके पार्टनर के परिवार ने मेडिकल खर्च उठाने और कोच्चि के एक प्राइवेट अस्पताल से शव लेने से इनकार कर दिया है. हाईकोर्ट इस मामले पर गुरुवार (8 फरवरी) दोपहर को सुनवाई करने वाला है. अदालत ने समलैंगिक शख्स की याचिका पर परिवार के सदस्यों को कोर्ट में पेश होने को कहा है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता जेबिन अपने पार्टनर मनु के साथ कोच्चि में रहते थे. 2 फरवरी को मनु घर की बालकनी से नीचे गिर गए. इस हादसे में उन्हें काफी चोटें आईं, जिसके बाद गंभीर हालत में उन्हें कोच्चि के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवाया गया. डॉक्टरों ने मनु को बचाने की बहुत कोशिश की. उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर भी रखा गया है. हालांकि, दो दिनों तक वेंटिलेटर सपोर्ट पर रहने के बाद 4 फरवरी को मनु ने दम तोड़ दिया.
शव हासिल करने पहुंचे हाईकोर्ट
वहीं, दो दिनों तक उसके शव को कोई लेने भी नहीं आया. परिवार ने भी शव लेने से इनकार कर दिया है. दूसरी ओर कानून के तहत मनु के पार्टनर जेबिन को उसका शव हासिल करने का अधिकार नहीं है. यही वजह है कि अब जेबिन केरल हाईकोर्ट पहुंच गए हैं, जहां उन्होंने एक याचिका दायर कर अपने पार्टनर का शव हासिल करने की मांग की है. हाईकोर्ट ने याचिका की समीक्षा करने के बाद ईमेल के जरिए प्राइवेट अस्पताल को नोटिस भेजा है.
केरल की पहली ट्रांसजेंडर वकील पद्म लक्ष्मी जेबिन का पक्ष हाईकोर्ट में रख रही हैं. उन्होंने कहा, ‘ये मामला जेबिन के अधिकारों से जुड़ा हुआ है. मनु के शरीर को धार्मिक क्रियाक्रम के लिए हासिल करने का अधिकार होना चाहिए.’
क्या है शव को लेकर प्रोटोकॉल?
इस मामले पर 6 फरवरी को सुनवाई हुई थी, जहां हाईकोर्ट ने लावारिस शवों के लिए सरकारी प्रोटोकॉल के संबंध में जानकारी मांगी गई थी. प्रोटोकॉल के अनुसार, जब बॉयोलॉजिकल परिवार के सदस्य या कानूनी उत्तराधिकारी किसी शव पर दावा नहीं करते हैं तो उस शव को आमतौर पर मेडिकल रिसर्च के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेज में भेज दिया जाता है.