झुंझुनूं, 13 दिसंबर डाइट झुंझुनूं में आयोजित पांच दिवसीय ई-कॉन्टेंट निर्माण कार्यशाला का समापन शुक्रवार को जिला शिक्षा अधिकारी और डाइट प्राचार्य मनोज ढाका की अध्यक्षता में किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षकों को नवीनतम डिजिटल टूल्स और ई-कॉन्टेंट निर्माण तकनीकों से परिचित कराना था, जिससे विद्यार्थियों के लिए सरल और रोचक शिक्षण सामग्री तैयार की जा सके।
कार्यशाला की मुख्य उपलब्धियां
कार्यशाला में शिक्षकों ने विज्ञान और सामाजिक विज्ञान विषयों पर केंद्रित कक्षा 3 से 8 के लिए प्रभावी और रुचिकर ई-कॉन्टेंट तैयार किए। इन विषयों में वन संपदा, प्रजनन, जैवविविधता, प्राकृतिक आपदाओं का प्रबंधन, प्रकाश संश्लेषण, उदयपुर और बीकानेर की सैर जैसे विषय शामिल थे।
कार्यशाला के दौरान वीडियो, सिमुलेशन, पॉडकास्ट, एनीमेशन और गेम आधारित सामग्री का उपयोग कर ई-कॉन्टेंट निर्माण के नवीनतम तरीके सिखाए गए।
प्रमुख वक्ताओं का दृष्टिकोण
प्राचार्य मनोज ढाका ने ई-कॉन्टेंट निर्माण की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डिजिटल टूल्स के माध्यम से विद्यार्थियों को विषयों को समझने में आसानी होगी और उन्हें आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरित किया जा सकेगा। उन्होंने यह भी बताया कि यह पहल नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा के डिजिटलीकरण और गुणवत्ता सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
ईटी प्रभागाध्यक्ष डॉ. राजबाला ढाका ने कहा कि बदलते समय में ई-कॉन्टेंट शिक्षण प्रणाली का अहम हिस्सा बन गया है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि डिजिटल युग में शिक्षकों को विद्यार्थियों को आकर्षित करने और शिक्षा को अधिक जीवंत बनाने के लिए नए तरीकों को अपनाना चाहिए।
कार्यशाला में भाग लेने वाले विशेषज्ञ और टीम
कार्यशाला के सफल संचालन में डॉ. नवीन ढाका, चंद्रभान, और राजेश झाझड़िया का मार्गदर्शन प्रमुख रहा। प्रतिभागियों में राकेश कुल्हरी, सुमित नूनिया, रितुबाला, कविता, रजनीश कालेर, अनिल कुमावत, अमित पूनिया, अनिल चौधरी, प्रमोद कुमार और सचिन चौधरी जैसे शिक्षकों ने अपनी रचनात्मकता और ऊर्जा का प्रदर्शन किया।
कार्यशाला का प्रभाव
इस पांच दिवसीय कार्यशाला ने शिक्षकों को ई-कॉन्टेंट निर्माण की तकनीकों में दक्षता प्रदान की, जिससे झुंझुनूं क्षेत्र में डिजिटल शिक्षा को एक नई दिशा मिलेगी। ई-कॉन्टेंट के उपयोग से न केवल विद्यार्थियों के सीखने की रुचि बढ़ेगी, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
यह पहल आने वाले समय में शिक्षण प्रणाली को सुदृढ़ बनाने और विद्यार्थियों के ज्ञानवर्धन में एक मील का पत्थर साबित होगी।