सूरजगढ़: पीएमश्री महात्मा गांधी विद्यालय, जीणी में आज झारखंड राज्य के विभिन्न विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों के एक समूह का संस्था प्रधान सुनीता कंवर के नेतृत्व में स्वागत किया गया। झारखंड के शिक्षाधिकारियों का यह समूह पीरामल स्कूल ऑफ लीडरशिप, बगड़ में आयोजित एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने आया है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान ही उन्होंने जीणी में विद्यालय का एक्सपोजर भ्रमण किया। इस भ्रमण का मुख्य उद्देश्य विद्यालय की नवाचारी शैक्षिक पद्धतियों, प्रबंधन व्यवस्था और सामाजिक भावनात्मक एवं नैतिक शिक्षण कार्यक्रम को समझना था।
भ्रमण के दौरान प्रधानाध्यापकों ने विद्यालय के बुनियादी ढाँचे, जिसमें आधुनिक कक्षा-कक्ष, पुस्तकालय, कंप्यूटर लैब, खेल सुविधाएँ शामिल हैं, का विस्तृत निरीक्षण किया। उन्होंने विद्यालय की अनुशासन व्यवस्था और स्वच्छता प्रबंधन की सराहना की, जो विद्यालय के समग्र वातावरण को अनुकूल बनाने में सहायक है। विद्यार्थियों ने सामाजिक-भावनात्मक एवं नैतिक शिक्षण (SEE Learning) के अंतर्गत संचालित गतिविधियों का एक जीवंत प्रदर्शन प्रस्तुत किया। उन्होंने दर्शाया कि कैसे नियमित ध्यान अभ्यास, भावनात्मक स्व-नियमन तकनीकें और समूह चर्चाएँ उन्हें शैक्षिक दबावों को प्रबंधित करने में सहायता करती हैं।
एक छात्र ने बताया, सी लर्निंग के माध्यम से हम न केवल अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं, बल्कि अपने सहपाठियों के प्रति सहानुभूति और सम्मान की भावना भी विकसित कर पाते हैं।

प्रधानाध्यापकों ने विद्यालय की ‘भामाशाह’ पहल, जो सामुदायिक सहयोग और सामूहिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देती है, के बारे में विस्तार से जाना। उन्होंने बालवाटिका में छोटे बच्चों की रचनात्मक गतिविधियों, जैसे कहानी सुनाना, कला और शिल्प कार्य, और खेल-आधारित शिक्षण का अवलोकन किया।

झारखंड के एक प्रधानाध्यापक ने कहा, यह भ्रमण हमारे लिए एक खुली किताब की तरह था। हमने देखा कि कैसे उचित योजना और समर्पण के साथ ग्रामीण विद्यालय भी शिक्षा की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार ला सकते हैं। हम अपने विद्यालयों में इनमें से अनेक पहलुओं को लागू करने का प्रयास करेंगे।

एक्सपोजर भ्रमण के बाद समूह द्वारा बताया गया कि यह कार्यक्रम शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और स्कूली शिक्षा में नवाचारों को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ। भविष्य में इस तरह के और भ्रमण आयोजित करने की योजना है, ताकि शिक्षकों के बीच ज्ञान और अनुभवों का आदान-प्रदान जारी रखा जा सके।