चिड़ावा: शहर में आवारा सांड, आवारा पशु समस्या, नगर पालिका लापरवाही, सड़क सुरक्षा, और शहरी अव्यवस्था जैसे मुद्दे लगातार गंभीर होते जा रहे हैं। बुधवार शाम पुराना बस स्टैंड क्षेत्र में दो सांडों के बीच करीब 20 मिनट तक चली हिंसक लड़ाई ने स्थानीय लोगों को दहशत में डाल दिया। यह घटना न केवल प्रशासनिक निष्क्रियता को उजागर करती है बल्कि यह भी दिखाती है कि नगर में आवारा गोवंश की समस्या किस हद तक बढ़ चुकी है।
बुधवार शाम चिड़ावा के पुराने बस स्टैंड और उप जिला अस्पताल के सामने दो आवारा सांड अचानक आमने-सामने भिड़ गए। करीब 20 मिनट तक चले इस संघर्ष के दौरान सड़क से गुजर रहे दोपहिया वाहन चालक कई बार दुर्घटनाग्रस्त होने से बचे। लोग सुरक्षित स्थान तलाशते रहे, दुकानदारों ने शटर गिरा दिए और आसपास मौजूद हर व्यक्ति इस स्थिति से भयभीत नजर आया।
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस तरह की घटनाओं की सूचना नगर पालिका और संबंधित अधिकारियों को कई बार दी जाती रही है। लेकिन बुधवार की घटना में भी कोई कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचा। लोगों का कहना है कि नगर पालिका दावा करती है कि आवारा गोवंश को गोशालाओं में भेजा जा रहा है, जबकि जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है।
दोनों सांडों को भगाने में स्थानीय दुकानदारों और राह चलने वालों को खुद आगे आना पड़ा। लोगों ने पानी डालकर और आवाजें निकालकर किसी तरह उन्हें हटाने का प्रयास किया। गनीमत रही कि कोई गंभीर हादसा नहीं हुआ, हालांकि मौके पर मौजूद लोगों का कहना है कि यहां रोजाना इस तरह के दृश्य देखने को मिलते हैं।
इससे पहले गुरुवार को पंडित गणेशनारायण समाधि स्थल के सामने दो सांडों की लड़ाई में वहां से गुजर रही एक महिला गंभीर रूप से घायल हो गई थी। उस घटना में महिला की स्कूटी भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई थी। लगातार हो रही ऐसी घटनाएं इस समस्या की गंभीरता को स्पष्ट रूप से सामने रखती हैं।
चिड़ावा के लोगों का कहना है कि नगर पालिका द्वारा चलाए जा रहे आवारा पशु पकड़ने के अभियान केवल कागजों में सीमित दिखते हैं। शहर में रोजाना दर्जनों आवारा सांड घूमते हुए देखे जाते हैं, जो बाजारों, मंदिरों, स्कूलों और मुख्य सड़कों पर खतरा बने हुए हैं।




