चिड़ावा: शेखावाटी के चिड़ावा की बेटी अचला शर्मा ने एक बार फिर अपने गांव और राज्य का नाम रोशन किया है। स्पोर्ट्स एकेडमी ऑफ इंडिया, बैंगलोर से NIS हॉकी कोच का कोर्स पूरा करने के बाद अचला ने छत्तीसगढ़ और गुजरात में आयोजित जूनियर नेशनल हॉकी टूर्नामेंट में अपनी टीमों को मेडल दिलाकर इतिहास रच दिया है।
कौन हैं अचला शर्मा:
अचला शर्मा चिड़ावा के गांव ब्राह्मणों की ढाणी की रहने वाली हैं। अचला के पिता बलबीर शर्मा तथा माता दर्शना देवी ने बताया कि अचला ने अपनी 10वीं तक की पढ़ाई गांव के ही राजकीय विद्यालय से पूर्ण की। बचपन से ही खेलों में रुचि रखने वाली अचला ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय इंडोर हॉकी टूर्नामेंट में भाग लेकर अपने गांव का नाम रोशन किया है।
छत्तीसगढ़ और गुजरात में शानदार प्रदर्शन:
अपनी इंटर्नशिप के दौरान अचला ने छत्तीसगढ़ में एक हॉकी टीम को प्रशिक्षित किया और 21 से 29 जुलाई तक आयोजित जूनियर नेशनल टूर्नामेंट में अपनी टीम को कांस्य पदक दिलाया। इसके बाद, उन्होंने गुजरात में आयोजित सब जूनियर नेशनल हॉकी टूर्नामेंट में भी अपनी टीम को मेडल दिलाया।
प्रवर्तक डॉ. गणेश चेतीवाल का कहना:
अचला शर्मा के प्रवर्तक डॉ. गणेश चेतीवाल ने बताया कि अचला ने कड़ी मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल किया है। उन्होंने कहा कि अचला का यह उपलब्धि पूरे क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है।
गांव और परिवार में खुशी का माहौल:
अचला के इस उपलब्धि पर उनके गांव और परिवार में खुशी का माहौल है। गांव वाले अचला को बधाई दे रहे हैं और उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं दे रहे हैं।
यह उपलब्धि क्यों महत्वपूर्ण है:
अचला शर्मा की यह उपलब्धि इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिखाती है कि एक छोटे से गांव की लड़की भी कड़ी मेहनत और लगन से बड़े मुकाम हासिल कर सकती है। यह उपलब्धि अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।
अचला शर्मा का संदेश:
अचला शर्मा ने सभी युवाओं को संदेश दिया है कि वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करें। उन्होंने कहा कि अगर आप कुछ हासिल करना चाहते हैं तो आपको उसके लिए संघर्ष करना होगा।
निष्कर्ष:
चिड़ावा की बेटी अचला शर्मा ने अपनी मेहनत और लगन से एक बार फिर साबित कर दिया है कि भारतीय महिलाएं किसी से कम नहीं हैं। उनकी यह उपलब्धि पूरे क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है।