दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता और प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने गुरुवार सुबह ही पार्टी से इस्तीफा दिया और फिर दोपहर में भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। दिल्ली के बीजेपी मुख्यालय में पार्टी नेता विनोद तावड़े ने उन्हें पार्टी की सदस्यता पत्र दिलाई।
गौरव वल्लभ ने अपने कांग्रेस छोड़ने के फैसले पर कहा, “मैंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिखकर मेरे दिल की सारी भावनाएं उसमें व्यक्त कर दीं हैं।”
उन्होंने जोर दिया कि उनकी इस्तीफा के पीछे कांग्रेस पार्टी की नीतियों और विचारधारा से संतुष्ट नहीं होना था। वे अपने इस्तीफे में लिखा भी था कि “मेरा हमेशा मानना रहा है कि भगवान राम का मंदिर बने और न्यौता मिले और हम न्यौते को ठुकरा दें, कांग्रेस पार्टी यह लिखकर दे दे कि हम नहीं जा सकते, मैं ये नहीं स्वीकार कर सकता हूं।”
वेल्थ क्रिएटर्स को नहीं दे सकता गाली गौरव वल्लभ ने अपने इस्तीफे के बाद बताया कि वे अर्थशास्त्र के विद्यार्थी हैं और उन्होंने बड़े समय तक देश के प्रतिष्ठित संस्थाओं में अर्थशास्त्र और वित्त पढ़ाया है। उन्होंने कहा, “सुबह से शाम तक वेल्थ क्रिएटर्स को गाली, उन नीतियों को गाली, उदारीकरण, निजीकरण को गाली, वैश्विकरण को गाली…मनमोहन सिंह और नरसिम्हा राव ने जो किया उसे पूरी दुनिया मानती हैं, आप उन नीतियों को गाली दे रहे हैं।”
उन्होंने और भी कहा, “मेरे से यह नहीं होगा कि जब सनातन धर्म को गाली दी जाए और मैं चुप बैठ जाऊं। कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने, उनके सहयोगियों ने सनातन धर्म पर बड़े-बड़े सवाल उठाए, उनका जवाब क्यों नहीं दिया गया?”
कौन हैं गौरव वल्लभ
गौरव वल्लभ को पिछले साल अशोक गहलोत और सचिन पायलट विवादों में भी खुलकर स्टैंड लिया था और अशोक के समर्थन में बयान दिए थे। साल 2022 में उन्होंने मल्लिकार्जुन खड़गे के इलेक्शन कैंपेन (कांग्रेस अध्यक्ष) को संभाला था। वे पार्टी के अंदर आर्थिक मसलों पर मजबूती से बात रखते आए हैं।
वह 2023 में राजस्थान विधानसभा चुनाव में उदयपुर सीट से मैदान में उतरे थे, हालांकि उन्होंने उस चुनाव में ताराचंद्र जैन से हार का सामना किया था।
गौरव वल्लभ ने 2019 में झारखंड के जमशेदपुर पूर्व से पहली बार चुनाव लड़ा था और उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास और सरयू रॉय के बाद तीसरे स्थान पर रहे थे।