नई दिल्ली: हाल ही में लोकसभा चुनाव जीते कांग्रेस पार्टी के 99 सांसदों की सदस्यता रद्द करने की याचिका दाखिल की गई है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि कांग्रेस ने गारंटी कार्ड के जरिए जनता को भ्रमित किया और पैसे का लालच देकर वोट हासिल किए।
याचिका में कहा गया है कि कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान जनता से वोट के बदले 1 लाख रुपये और 8500 रुपये देने का वादा किया था। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह “नोट फ़ॉर वोट” का मामला बनता है और यह चुनाव आयोग के नियमों के तहत अनुचित है।
याचिका के अनुसार, इस मामले को भारतीय दंड संहिता की धारा 123 के तहत लाया गया है, जिसमें चुनाव में धन के माध्यम से वोट खरीदने का मामला शामिल होता है।
याचिका दाखिल होने के बाद से राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। कांग्रेस पार्टी ने इस आरोप को निराधार और राजनीतिक साजिश करार दिया है। पार्टी प्रवक्ता का कहना है कि जनता को गुमराह करने का कोई प्रयास नहीं किया गया और पार्टी ने अपने चुनाव प्रचार में कोई गैरकानूनी गतिविधि नहीं की।
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि चुनाव आयोग इस याचिका पर क्या कदम उठाता है और क्या कांग्रेस के 99 सांसदों की सदस्यता पर कोई कार्रवाई की जाती है। इस मामले का असर आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है और यह राजनीतिक माहौल को और गर्म कर सकता है।
इस बीच, अन्य राजनीतिक दल इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं और मामले की गहन जांच की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस के समर्थकों का कहना है कि यह विपक्ष की चाल है, जबकि विरोधियों का मानना है कि अगर यह आरोप सही साबित होते हैं, तो यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक गंभीर चिंता का विषय होगा।
आगे की जानकारी के लिए हम मामले की ताजा घटनाओं पर नजर बनाए रखेंगे।