नई दिल्ली, 24 जुलाई 2024: राज्यसभा में बजट पर चर्चा के दौरान, कांग्रेस अध्यक्ष और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी सरकार के बजट 2024-25 की कड़ी आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि बजट में केवल बिहार और आंध्र प्रदेश को प्राथमिकता दी गई है, जबकि अन्य राज्यों को नजरअंदाज किया गया है। खरगे ने बजट को ‘कुर्सी बचाओ’ बजट करार देते हुए कहा कि यह केवल कुछ राज्यों को खुश करने के लिए तैयार किया गया है।
मल्लिकार्जुन खरगे के आरोप
खरगे ने आरोप लगाया कि बजट में उन राज्यों को नजरअंदाज किया गया है जिनकी जनता ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को नकार दिया है। उन्होंने कहा, “तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, छत्तीसगढ़, दिल्ली, और ओड़िशा जैसे राज्यों को इस बजट में कुछ भी नहीं मिला है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह बजट राज्यों के विकास में असंतुलन पैदा कर सकता है और इसे कुर्सी बचाने की राजनीति के तहत तैयार किया गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का जवाब
मल्लिकार्जुन खरगे के आरोपों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बजट भाषण में हर राज्य का नाम लेना संभव नहीं होता, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि राज्यों को नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र का नाम बजट भाषण में नहीं लिया गया था, लेकिन हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महाराष्ट्र में 76,000 करोड़ रुपये की लागत वाली वधावन बंदरगाह परियोजना को मंजूरी दी है। सीतारमण ने जोर देकर कहा कि राज्यों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार योजनाओं और वित्तीय सहायता का आवंटन किया जाता है।
विपक्ष का बहिष्कार
वित्त मंत्री के जवाब के दौरान कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सदन का बहिष्कार किया। कांग्रेस नेतृत्व ने बजट को असमानता और पक्षपातपूर्ण नीति का उदाहरण बताया और कहा कि विपक्ष इस बजट का कड़ा विरोध करता है। खरगे ने कहा, “हमने ऐसा बजट पहले कभी नहीं देखा। यह केवल किसी को खुश करने और सत्ता में बने रहने के लिए तैयार किया गया है।”
बजट पर राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया मिली है। बीजेपी ने खरगे के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि बजट सभी राज्यों के विकास को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। दूसरी ओर, विपक्षी दलों ने इसे राजनीतिक भेदभाव का उदाहरण बताया और इसे लोकतंत्र के लिए खतरा करार दिया।