नई दिल्ली: एयर इंडिया की फ्लाइट 171 की दुर्घटना को लेकर प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद नए दावे और विवाद खड़े हो गए हैं। अमेरिकी मीडिया संस्थानों ब्लूमबर्ग और वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्टों में दावा किया गया है कि विमान के क्रैश से पहले कॉकपिट में मौजूद कैप्टन सुमित सभरवाल ने इंजन के फ्यूल कंट्रोल स्विच को ‘कटऑफ’ पोजीशन में डाल दिया था। साथ ही, यह भी बताया गया कि फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर ने इस पर हैरानी जताते हुए सवाल किया कि ऐसा क्यों किया गया। हालांकि, भारत सरकार की विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) ने इन रिपोर्टों को आधारहीन, गैर-जिम्मेदाराना और अप्रमाणित करार देते हुए सिरे से खारिज कर दिया है।
एएआईबी के निदेशक वाई.वी. युगंधर ने स्पष्ट किया है कि अभी जांच प्रक्रिया प्रारंभिक स्तर पर है और ऐसे में किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक रिपोर्ट का उद्देश्य केवल यह बताना होता है कि घटना कैसे और किन परिस्थितियों में हुई, न कि किसी की जिम्मेदारी तय करना। युगंधर ने यह भी कहा कि कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (ब्लैक बॉक्स) की ट्रांसक्रिप्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) के प्रोटोकॉल के तहत प्रतिबंधित है। अंतिम रिपोर्ट में केवल जांच से जुड़े प्रासंगिक अंश ही साझा किए जाएंगे।
ब्लूमबर्ग और डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों फ्यूल कंट्रोल स्विच एक सेकंड के अंतर से बंद हुए थे और 10 सेकंड बाद उन्हें दोबारा ‘रन’ मोड में लाया गया। लेकिन इसके मात्र 32 सेकंड के भीतर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह दावा भी किया गया है कि फ्यूल स्विच विमान के सेंटर कंसोल पर होते हैं, जिन्हें गलती से टच करना आसान नहीं होता क्योंकि उनमें स्प्रिंग-लॉक और सुरक्षा ढक्कन लगे होते हैं।
एयर सेफ्टी विशेषज्ञ मार्क मार्टिन ने कहा है कि कॉकपिट रिकॉर्डिंग को सार्वजनिक करना जरूरी है, ताकि अटकलों पर विराम लग सके और सच्चाई सामने आ सके। दूसरी ओर, भारतयी पायलट फेडरेशन के अध्यक्ष सीएस रंधावा का कहना है कि अगर जांच एजेंसी प्रारंभिक रिपोर्ट में कुछ ठोस बिंदु साझा कर देती, तो इस तरह की अफवाहें फैलने से रोकी जा सकती थीं।
पायलट संगठन ALPA इंडिया ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है। संगठन ने कहा है कि फ्लाइट AI-171 के पायलट प्रशिक्षित और जिम्मेदार पेशेवर थे। उन्होंने विमान में मौजूद 241 यात्रियों की जान बचाने के लिए अंतिम क्षण तक भरसक प्रयास किया और उनके बलिदान को आलोचना के बजाय सम्मान मिलना चाहिए।
फिलहाल, भारत की जांच एजेंसी AAIB अंतिम रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया में जुटी है और अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार जांच के निष्कर्ष सार्वजनिक किए जाएंगे। लेकिन विदेशी मीडिया की इन रिपोर्टों ने जांच प्रक्रिया पर कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनके उत्तर समय के साथ सामने आएंगे।
यह हादसा अब केवल तकनीकी कारणों का विश्लेषण नहीं रह गया, बल्कि इसके पीछे सूचना की विश्वसनीयता, पायलटों की छवि और अंतरराष्ट्रीय मीडिया की जिम्मेदारी जैसे गंभीर पहलू भी जुड़ चुके हैं।