उदयपुरवाटी: क्षेत्र में रविवार रात मूसलाधार बारिश के कारण जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया। विशेष रूप से काटली नदी में आए तेज बहाव ने क्षेत्र में भारी नुकसान पहुंचाया। बाघोली से नीमकाथाना को जोड़ने वाली नव-निर्मित सड़क पानी में बह गई, जिससे क्षेत्र के लोगों को गहरा झटका लगा है।
महज छह महीने पहले करोड़ों की लागत से तैयार हुई यह सड़क बाघोली को राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 52 से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण कड़ी मानी जा रही थी। लेकिन उद्घाटन से पहले ही सड़क का अस्तित्व मिट गया। पानी के तेज बहाव के चलते यह सड़क दो हिस्सों में टूट गई, जिससे क्षेत्र का संपर्क मार्ग पूरी तरह बाधित हो गया।
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि इस मार्ग का निर्माण लंबे समय से एक सपना था, जो अब पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। ग्रामीणों और राहगीरों ने इस हादसे के लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग और संबंधित ठेकेदार को दोषी ठहराया है। लोगों का कहना है कि निर्माण कार्य में गंभीर स्तर पर लापरवाही बरती गई और गुणवत्ता से समझौता किया गया, जो पहली ही बारिश में सामने आ गया।
बारिश के बाद जब ग्रामीण सुबह मौके पर पहुंचे तो सड़क का बड़ा हिस्सा पानी में समा चुका था। इसके वीडियो और तस्वीरें स्थानीय लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर साझा की गईं, जो देखते ही देखते वायरल हो गईं। वायरल हो रहे इन वीडियो में सड़क के दो टुकड़ों में बंटने और बहाव के कारण गड्ढों की भयावह तस्वीरें देखी जा सकती हैं।
काटली नदी में आए पानी के चलते आसपास के खेतों और छोटे एनीकट भी जलमग्न हो गए हैं। क्षेत्र में सैकड़ों बीघा कृषि भूमि पर खड़ी फसलें पानी में डूब गई हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से अविलंब राहत और पुनर्निर्माण कार्य शुरू करने की मांग की है।
झुंझुनूं जिले के इस हिस्से में लगातार हो रही बारिश से अन्य गांवों में भी जलभराव की स्थिति बनी हुई है। जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण कई इलाकों में सड़कें तालाब में तब्दील हो गई हैं। ऐसे में अब स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वह दोषियों की जवाबदेही तय कर जल्द से जल्द क्षतिग्रस्त मार्ग की मरम्मत और बहाली का काम शुरू कराए।
इस घटना ने न केवल निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की अनदेखी को भी उजागर कर दिया है। सड़क के बहने से प्रभावित लोगों को आने-जाने में भारी कठिनाई हो रही है, जिससे स्कूल, अस्पताल और आवश्यक सेवाओं तक पहुंच बाधित हो गई है।
जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों की चुप्पी पर भी सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक निर्माण में पारदर्शिता और निगरानी नहीं बढ़ेगी, तब तक इस तरह की घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी। वहीं, इस पूरी स्थिति को देखते हुए अब यह जरूरी हो गया है कि संबंधित विभाग निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की गहन जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे।