नई दिल्ली: हरियाणा और महाराष्ट्र चुनावों में हार के बाद ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर सवाल उठाने वाली कांग्रेस और शिवसेना को तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी ने कड़ी चुनौती दी है। उन्होंने कांग्रेस के ईवीएम पर छेड़छाड़ के आरोपों को निराधार बताते हुए भारतीय चुनाव आयोग के समक्ष हैकिंग प्रक्रिया का प्रदर्शन करने की चुनौती दी। इस घटनाक्रम ने आईएनडीआईए ब्लॉक में ईवीएम की विश्वसनीयता पर मतभेदों को और उजागर कर दिया है।
अभिषेक बनर्जी का बयान: आरोप बेतुके
अभिषेक बनर्जी ने सार्वजनिक रूप से ईवीएम पर कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि केवल बयानबाजी से कुछ नहीं होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि किसी को ईवीएम की विश्वसनीयता पर संदेह है, तो उन्हें भारतीय चुनाव आयोग के पास जाकर यह साबित करना चाहिए कि मशीन को कैसे हैक किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “अगर मतदान के दौरान बूथ पर मॉक पोल और काउंटिंग के समय मशीनों की चेकिंग होती है, तो ऐसे में आरोप लगाने का कोई औचित्य नहीं है।”
चुनाव आयोग को दें डेमो: अभिषेक बनर्जी
तृणमूल महासचिव ने कांग्रेस को सुझाव दिया कि वह चुनाव आयोग के समक्ष जाकर यह दिखाए कि किस तकनीक से ईवीएम को हैक किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि “जो लोग ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं, वे केवल बेतुकी बयानबाजी कर रहे हैं।” बनर्जी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने कई चुनावों में ग्राउंड पर काम किया है और ईवीएम को लेकर कभी कोई समस्या महसूस नहीं की।
आईएनडीआईए ब्लॉक में मतभेद
ईवीएम विवाद के साथ-साथ आईएनडीआईए ब्लॉक के नेतृत्व के मुद्दे पर भी कांग्रेस को लगातार चुनौती मिल रही है। अभिषेक बनर्जी के इस बयान ने यह स्पष्ट कर दिया कि विपक्षी गठबंधन में सामंजस्य की कमी है।
नेटिज़न्स की प्रतिक्रिया
अभिषेक बनर्जी के बयान के बाद इंटरनेट मीडिया पर कई यूजर्स ने प्रतिक्रिया दी। एक यूजर ने कहा, “जब बंगाल में बीजेपी जीतेगी, तब शायद तृणमूल भी ईवीएम को बुरा-भला कहेगी।” 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद ममता बनर्जी ने भी ईवीएम पर सवाल उठाए थे और बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की थी। लेकिन अब उनके भतीजे ने ईवीएम को लेकर कांग्रेस को आईना दिखा दिया है।
उमर अब्दुल्ला का बयान
इससे पहले, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी ईवीएम पर कांग्रेस के आरोपों की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था, “जब उसी ईवीएम से सौ से अधिक सांसद चुनकर आते हैं, तब आप उस जीत को सेलिब्रेट करते हैं। लेकिन जब चुनाव नतीजे अनुकूल नहीं आते, तो आप मशीन पर सवाल उठाने लगते हैं।”