ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की 21 मई को अजरबैजान में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई, जिसके बाद भारत ने एक दिवसीय राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया है। इस दुर्घटना में राष्ट्रपति रईसी के साथ-साथ ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीराब्दुल्लाहियन, पूर्वी अजरबैजान प्रांत के गवर्नर मालेक रहमती, और रईसी की बॉडीगार्ड टीम के प्रमुख मेहदी मौसवी की भी मौत हो गई।
दुर्घटना के बाद, ईरान ने पांच दिनों के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया है। इस दौरान, ईरान की सभी सरकारी और निजी संस्थानों में झंडे आधे झुके रहेंगे, और सभी प्रकार के सार्वजनिक मनोरंजन कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया गया है। ईरान के राष्ट्रपति कार्यालय ने इस हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है और इसे राष्ट्र के लिए एक बड़ी क्षति बताया है।
चाबहार बंदरगाह और भारत
रईसी के नेतृत्व में, ईरान ने चीन और पाकिस्तान के दबाव के बावजूद चाबहार बंदरगाह का संचालन और विकास भारत को सौंपने का रास्ता साफ किया। यह बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक महत्व का है, क्योंकि यह भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों तक सीधी पहुंच प्रदान करता है।
बीते सप्ताह ही भारत ने ईरान के साथ चाबहार स्थित शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह के संचालन व विकास के लिए 10 वर्ष का अनुबंध किया है। इस बंदरगाह के माध्यम से भारत अपने व्यापारिक हितों की रक्षा कर सकता है और अरब सागर में अपनी उपस्थिति को मजबूत बना सकता है।
दीर्घकालिक समझौते की कहानी
2003 में पहली बार भारत और ईरान के बीच इस बंदरगाह के विकास और संचालन को लेकर सहमति पत्र पर दस्तखत किए गए थे। लेकिन, विभिन्न कारणों से यह समझौता दो दशक तक लटका रहा। 2017 में भारत ने बेहेश्ती बंदरगाह पर टर्मिनल का निर्माण कर उसका संचालन शुरू कर दिया। अंततः, 2024 में दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें रईसी की भूमिका महत्वपूर्ण रही।
कश्मीर मुद्दे पर भारतीय रुख का समर्थन
ईरान एक इस्लामिक देश होने के बावजूद, रईसी ने कश्मीर के मसले पर हमेशा भारतीय रुख का समर्थन किया। यह उनकी समझदारी और भारतीय हितों के प्रति उनके सकारात्मक दृष्टिकोण का प्रतीक है। उनकी इस नीति ने भारत और ईरान के बीच संबंधों को और भी मजबूत बनाया।