वायरल वीडियो: राजस्थान के अलवर जिले के बहरोड़ क्षेत्र में बीते दिनों एक हैरान करने वाली घटना सामने आई, जहां बीघाना गांव में एक चालू बोरिंग से अचानक तेज पानी का फव्वारा निकलने लगा। इस घटना ने क्षेत्र के ग्रामीणों को हैरान कर दिया और देखते ही देखते पानी की तेज धार के कारण आसपास का इलाका समंदर जैसा नजर आने लगा। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद यह पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गया।
घटना का विवरण
यह घटना बहरोड़ क्षेत्र के बीघाना गांव में स्थित राजकुमार के खेत में घटित हुई। गांव में पिछले साल एक बोरवेल खुदवाया गया था, जिसके आसपास क्षेत्र में करीब 1000 फीट पानी का लेवल रहता है। इस क्षेत्र में पानी की स्थिति बहुत खराब है और पीने के लिए भी पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं है।
इस बीच, ताजे मामले में सुबह के समय अचानक राजकुमार के खेत में स्थित बोरवेल से तेज पानी का फव्वारा निकलने लगा। कुछ ही देर में आसपास का इलाका पानी से भर गया। यह देखकर स्थानीय लोग दंग रह गए और बोरवेल के आसपास एकत्र हो गए। इस दौरान मौके पर मौजूद लोगों ने इस घटना का वीडियो बना लिया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
अलवर में जमीन से फूटा पानी का फव्वारा.#TirupatiStampede#ShangarDecorThrives#Rekhachithram#PravasiBharatiyaDivas#MotherChildCare#विदेशमंत्री#फातिमाशेख#जाटसमाज#छोटूराम#ChampionsTrophy2025#GazaStrip#MartinGuptill#NupurSharma#HollywoodHills#UPSC2025#ChandrababuNaidu pic.twitter.com/SV2mTltWww
— Anubhaw Mani Tripath (@AnubhawMani) January 9, 2025
संभावित कारण और क्षेत्र में चर्चाएं
ग्रामीणों के अनुसार, बोरवेल के पास एक और खेत में मशीन से बोरवेल की खुदाई चल रही थी। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि पानी के स्रोत आपस में मिल गए होंगे, जिससे प्रेशर लीक हुआ और पानी का तेज फव्वारा बोरवेल से बाहर आने लगा। यह घटना कुछ घंटों तक लगातार चलती रही और फिर बोरवेल खुद बंद हो गया।
राजकुमार ने इस घटना की सूचना प्रशासन को दी और इसके बाद यह मामला पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया। क्षेत्रीय लोग इस घटना को जैसलमेर के हालिया बोरवेल मामले से जोड़कर देख रहे हैं, जहां बोरिंग के दौरान पानी का गुबार निकला था और आसपास का इलाका समंदर जैसा नजर आने लगा था।
पिछला घटनाक्रम
कुछ समय पहले जैसलमेर में भी इसी तरह का एक मामला सामने आया था, जहां बोरिंग के दौरान अचानक पानी की धार निकलने से इलाके में भारी जलप्रवाह हो गया था। स्थानीय लोगों ने इसे वैदिक काल की सरस्वती नदी का पानी मानने की बात की थी, हालांकि भूजल वैज्ञानिकों ने इस बात से इनकार किया था।