झुंझुनूं, 8 अक्टूबर 2024: शहर के मंड्रेला रोड पर निर्माणाधीन अफोर्डेबल हाउसिंग सोसायटी से संबंधित विवाद में पहली बार नगर परिषद की संपत्ति कुर्क की गई है। यह कार्रवाई जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश पर की गई, जिसमें तहसीलदार सुरेन्द्र चौधरी के नेतृत्व में मंगलवार को नगर परिषद की जमीन को जब्त किया गया। यह जमीन शहर के डाइट के पास स्थित है और इसकी जल्द ही नीलामी कर उपभोक्ताओं को उनकी अवार्ड राशि दी जाएगी।
न्यायालय के आदेश की अवमानना बनी कुर्की का कारण
यह विवाद तब सामने आया जब 97 परिवादियों ने नगर परिषद पर आरोप लगाया कि उनके द्वारा पूरे पैसे जमा करवाने के बावजूद उन्हें सोसायटी में फ्लैट नहीं दिए गए। इस मामले में उपभोक्ताओं ने कोर्ट में अपील की, जिसके बाद भी नगर परिषद की ओर से निर्णयों की पालना नहीं की गई। उपभोक्ताओं को न तो फ्लैट दिए गए और न ही पैसे लौटाए गए। इस कारण से, उपभोक्ताओं ने जिला उपभोक्ता आयोग में न्यायालय के आदेश की पालना के लिए इजराय प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया।
आयोग के आदेश: अवार्ड राशि जमा करने का निर्देश
जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष मनोज मील ने नगर परिषद को अवार्ड राशि जमा कराने का आदेश जारी किया था। लंबे समय तक इन आदेशों की पालना नहीं होने पर आयोग ने इसे अवमानना मानते हुए कहा कि 31 मई 2024 तक नगर परिषद के पास अवार्ड राशि जमा करने का समय है। जब आदेश का पालन नहीं हुआ, तब आयोग ने संपत्तियों की कुर्की और बैंक खातों के सीज करने के निर्देश जारी किए। इसी के तहत मंगलवार को तहसीलदार सुरेन्द्र चौधरी की अगुवाई में नगर परिषद की जमीन को कुर्क किया गया।
एसडीएम की व्यक्तिगत उपस्थिति और आश्वासन
इस कार्रवाई के बाद, मंगलवार को एसडीएम झुंझुनूं जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष मनोज मील के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। उन्होंने आयोग को वसूली कुर्की वारंट पर की गई कार्रवाई के बारे में लिखित रूप से जानकारी दी। एसडीएम ने आश्वासन दिया कि कुर्क की गई जमीन को जल्द ही नीलाम कर उपभोक्ताओं को अवार्ड राशि दी जाएगी। उन्होंने बताया कि नगर परिषद की जमीन, जो चूरू रोड पर डाइट के सामने स्थित है और खसरा नंबर 1691 के अंतर्गत आती है, को कुर्क कर उस पर नोटिस बोर्ड लगा दिया गया है।
15 दिनों में नीलामी का इश्तेहार जारी होगा
एसडीएम ने यह भी कहा कि 15 दिनों के भीतर कुर्क की गई जमीन की नीलामी का इश्तेहार जारी कर दिया जाएगा, और नीलामी से प्राप्त राशि उपभोक्ताओं की अवार्ड राशि के रूप में जमा करवाई जाएगी। यह प्रक्रिया जिला प्रशासन द्वारा न्यायालय के आदेश के पालन के तहत की जा रही है।
दोषी अधिकारियों पर मंडराता आर्थिक दंड और सजा का खतरा
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 27 और अधिनियम 2019 की धारा 72 के अंतर्गत, उपभोक्ता आयोग के आदेश का पालन न करने वाले अधिकारियों पर आर्थिक दंड और सजा का प्रावधान है। इस मामले में, दोषी अधिकारियों को 25 हजार रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना और 1 महीने से 3 साल तक की सजा हो सकती है। आयोग के आदेशों की अवमानना करने पर यह दंड और सजा दोनों एक साथ भी दी जा सकती है।
उपभोक्ताओं को जल्द मिलेगा न्याय
इस विवाद के चलते उपभोक्ताओं को लंबे समय से न्याय नहीं मिल पाया था, लेकिन अब जिला उपभोक्ता आयोग के सख्त आदेश और प्रशासन की कार्रवाई से उन्हें जल्द ही अवार्ड राशि प्राप्त होने की उम्मीद है। कुर्की और नीलामी की प्रक्रिया के साथ ही दोषी अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई हो सकती है।