लखनऊ, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश विधानसभा ने मंगलवार को धर्मांतरण और लव जिहाद के खिलाफ एक सख्त कानून पारित किया है। इस नए कानून के तहत जबरन धर्मांतरण या लव जिहाद के मामलों में उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है। यह कानून पिछले चार साल पहले बनाए गए धर्म संपरिवर्तन कानून में संशोधन करके लागू किया गया है।
समाजवादी पार्टी और विपक्ष की प्रतिक्रिया
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस कानून पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। संसद के बाहर मीडिया से बातचीत करते हुए अखिलेश यादव ने कहा, “यह कानून समाज में छुआछूत जैसी समस्याओं को बढ़ावा देगा। यह सांप्रदायिक राजनीति का एक और प्रयास है, जिसके जरिए सरकार लोगों का ध्यान मुख्य मुद्दों से भटकाना चाहती है।”
अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि सरकार की इस नीति का उद्देश्य हिंदू और मुसलमानों के बीच विवाद पैदा करना है ताकि लोग असली समस्याओं को भूल जाएं। उन्होंने कावड़ यात्रा मार्ग पर ढाबा व भोजनालय मालिकों के नाम प्रदर्शित करने को लेकर उपजे विवाद का जिक्र करते हुए कहा, “वे बस यही चाहते हैं कि हिंदू और मुसलमान आपस में लड़ें और लोग इसी तरह की बहस में व्यस्त रहें।”
अन्य विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया
सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश की वर्तमान स्थिति बेहद खराब है। किसान घर की जगह खेतों में रातें गुजार रहे हैं। आवारा पशुओं ने कई किसानों की जान ले ली है। लोग प्रश्नपत्र लीक, महंगाई, बेरोजगारी जैसी समस्याएं झेल रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि ट्रांसफार्मर में आग लग जाती है तो उन्हें बदला नहीं जा रहा, किसान धान की रोपाई नहीं कर पा रहे हैं। इन सबसे ध्यान भटकाने के लिए ‘लव जिहाद’, धर्मांतरण की बात कर रहे हैं, ताकि उनकी विफलताओं पर चर्चा न हो, यही उनका मकसद है। प्रसाद ने कहा कि इस देश में धर्म आधारित राजनीति काम नहीं करेगी, मुझे चुनकर लोगों ने यह संदेश दिया है कि सांप्रदायिक राजनीति काम नहीं करेगी।
आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के सांसद चंद्रशेखर ने भी उप्र सरकार पर लोगों का ध्यान मुख्य मुद्दों से भटकाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “सरकार लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रही है। वे भोजन, आवास, अच्छा स्वास्थ्य, अच्छी शिक्षा प्रदान करने में असमर्थ हैं, लेकिन वे इस तरह के मुद्दों पर पूरा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं क्योंकि यह पूरी तरह से उनके अनुरूप है।”
कानून के नए प्रावधान
उत्तर प्रदेश सरकार ने चार साल पहले बनाए गए धर्म संपरिवर्तन कानून में संशोधन करते हुए विधेयक को सोमवार को विधानसभा में पेश किया था। इसे मंगलवार को पारित कर दिया गया। इसके नए प्रावधानों के तहत अगर कोई व्यक्ति धर्मांतरण कराने के इरादे से किसी को धमकी देता है, हमला करता है, विवाह करता या करने का वादा करता है या इसके लिए साजिश रचता है और महिला, नाबालिग या किसी की तस्करी करता है तो उसके अपराध को सर्वाधिक गंभीर श्रेणी में रखा जाएगा। ऐसे अपराधों में अब उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान कर दिया गया है।
विपक्ष की आपत्ति
विपक्ष का कहना है कि यह कानून समाज में तनाव और विभाजन को बढ़ावा देगा। समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने इसे सरकार की विफलताओं से ध्यान भटकाने का प्रयास बताया है। उनका कहना है कि राज्य की सरकार लोगों की बुनियादी समस्याओं को हल करने में विफल रही है और इस प्रकार के कानून लाकर सांप्रदायिक राजनीति कर रही है।
इस कानून के पारित होने के बाद उत्तर प्रदेश में राजनीति और समाज दोनों में हड़कंप मच गया है। विपक्ष ने इसे सरकार की सांप्रदायिक राजनीति का हिस्सा बताया है, जबकि सरकार ने इसे समाज की सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक बताया है।