जयपुर: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी का पर्व इस साल बुधवार 27 अगस्त 2025 को पड़ रहा है। तीन साल बाद ऐसा संयोग बना है जब गणेश चतुर्थी बुधवार को आई है। इस दिन भगवान गणेश की स्थापना और पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और विघ्न-बाधाओं का नाश होता है।
गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त
इस बार गणेश स्थापना का सबसे शुभ समय सुबह 11:05 से दोपहर 1:40 बजे तक का रहेगा। हालांकि राहुकाल दोपहर 12:22 से शुरू हो जाएगा, इसलिए भक्तों को सलाह दी जाती है कि राहुकाल से पहले ही गणपति की स्थापना कर लें।
अमृत काल: सुबह 07:33 से 09:09
शुभ चौघड़िया: सुबह 10:46 से दोपहर 12:22
गणेश चतुर्थी पर पूजा विधि
गणेश चतुर्थी के दिन स्नान कर घर और पूजा स्थल की स्वच्छता करनी चाहिए। शुभ मुहूर्त में लाल, पीले या हरे कपड़े से सजी चौकी पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। उन्हें फूल, दुर्वा और मोदक अर्पित करें। दीपक जलाकर मंत्रजाप करें और परिवार संग व्रत कथा का पाठ व आरती करें।
किस प्रकार की सूंड वाले गणपति शुभ माने जाते हैं?
बाईं ओर मुड़ी सूंड वाले गणेश: घर में स्थापना के लिए सबसे शुभ माने जाते हैं। यह स्वरूप शांति, सुख और समृद्धि का प्रतीक है।
दाईं ओर मुड़ी सूंड वाले गणेश: जाग्रत शक्ति का प्रतीक माने जाते हैं, लेकिन इनकी पूजा कठिन विधि से करनी होती है। गलती भारी पड़ सकती है।
सीधी सूंड वाले गणेश: दुर्लभ स्वरूप, जो ध्यान और तपस्या का प्रतीक है। साधना स्थल के लिए उत्तम।
गणेश प्रतिमा स्थापना के वास्तु नियम
गणेश जी की प्रतिमा हमेशा उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में स्थापित करनी चाहिए। साथ में मूषक वाहन और मोदक भी होना चाहिए। बैठे हुए और बाईं सूंड वाले गणेश जी की प्रतिमा घर के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है।
गणेश चतुर्थी और चंद्र दर्शन वर्जित
धार्मिक मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करने से झूठा कलंक लग सकता है। यदि गलती से चंद्रमा देख लिया जाए तो “स्यमन्तक मणि की कथा” का पाठ करें, गणेश पूजा करें और दान दें।
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