नई दिल्ली: संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चलेगा, जिसमें केंद्र सरकार करीब 12 अहम विधेयकों को संसद पटल पर लाने की तैयारी कर रही है। इनमें आयकर से जुड़े महत्वपूर्ण विधेयक के साथ-साथ खेल प्रशासन, भू-वैज्ञानिक विरासत संरक्षण और मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने जैसे मुद्दे प्रमुख रहेंगे।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, सरकार इस सत्र में ‘नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल, 2025’ को संसद में पेश करेगी। यह विधेयक खेल संगठनों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। इसका उद्देश्य ओलंपिक व पैरा ओलंपिक चार्टर, अंतरराष्ट्रीय खेल प्रशासन मानकों और कानूनी सिद्धांतों के अनुरूप एक व्यवस्थित ढांचा तैयार करना है। हाल के वर्षों में विभिन्न खेल महासंघों में सामने आई अनियमितताओं को देखते हुए यह विधेयक विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
इसके अलावा केंद्र सरकार ‘जियोहेरिटेज साइट्स एंड जियो-रिलिक्स (संरक्षण और रखरखाव) विधेयक, 2025’ भी लाने जा रही है। इस विधेयक के माध्यम से देश की भू-वैज्ञानिक विरासत से जुड़े स्थलों और अवशेषों की पहचान, संरक्षण और रखरखाव का कानूनी प्रावधान किया जाएगा। इसका उद्देश्य न केवल शोध और शिक्षा को बढ़ावा देना है, बल्कि पर्यटन और जनजागरूकता को भी नई दिशा देना है।
सूत्रों के अनुसार, सरकार मणिपुर में लागू राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के लिए दोनों सदनों की मंजूरी भी इस सत्र में लेगी। मणिपुर में 13 फरवरी 2025 से राष्ट्रपति शासन लागू है और सरकार इसकी वैधता बनाए रखने हेतु संसदीय सहमति की दिशा में आगे बढ़ेगी।
इस सत्र में एक और महत्वपूर्ण मुद्दा जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव हो सकता है। बताया गया है कि उनके निवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने के बाद वे गंभीर आरोपों के घेरे में आए हैं। यदि यह प्रस्ताव संसद में आता है तो न्यायपालिका और विधायिका के बीच एक अहम कानूनी पड़ाव देखने को मिलेगा।
लोकसभा सचिवालय की आंतरिक बुलेटिन में बताया गया है कि कुछ विधेयक पहले से ही संसद में प्रस्तुत किए जा चुके हैं जबकि कुछ अभी संसदीय समितियों के विचाराधीन हैं। इसके बावजूद सरकार की मंशा है कि इस सत्र में अधिकतम विधेयकों को पारित कराए जाए ताकि आगामी कार्यकाल में इनके प्रभावी कार्यान्वयन की राह प्रशस्त हो सके।
संसद का यह सत्र कई अहम कानूनी और सामाजिक बदलावों की दिशा में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। सरकार की प्राथमिकता स्पष्ट है—प्रशासनिक पारदर्शिता, न्यायिक जवाबदेही, और सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण।