इस्लामाबाद: भारत के साथ हाल ही में हुए चार दिवसीय संघर्ष को लेकर पाकिस्तान की स्थिति लगातार विवादों में है। इस बीच पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने मीडिया के सामने सफाई देते हुए कहा है कि भारत से लड़ाई के दौरान उनके देश को किसी भी विदेशी शक्ति से कोई सैन्य समर्थन नहीं मिला। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान ने यह लड़ाई पूरी तरह से अपनी सेना की क्षमता के दम पर लड़ी और किसी बाहरी सैन्य ताकत की सहायता नहीं ली गई।
ख्वाजा आसिफ की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने यह खुलासा किया है कि संघर्ष के दौरान पाकिस्तान को चीन से रियल टाइम सैटेलाइट इंटेलिजेंस इनपुट और तुर्की से ड्रोन व तकनीकी मदद प्राप्त हुई थी। जनरल सिंह के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को भारत की सैन्य गतिविधियों की सीधी जानकारी चीन से मिली और तुर्की ने बायक्तर जैसे लड़ाकू ड्रोन तथा प्रशिक्षित कर्मियों की सहायता इस्लामाबाद को दी।
भारत के इस खुलासे के बाद पाकिस्तान बौखलाहट में है। ख्वाजा आसिफ ने कहा कि हथियारों की खरीद को सैन्य सहयोग नहीं माना जा सकता। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान चीन या अमेरिका से हथियार लेता है, तो क्या इसका मतलब है कि ये देश युद्ध में पाकिस्तान के पक्षकार हो जाते हैं? उन्होंने यह भी कहा कि भारत फ्रांस से राफेल विमान खरीदता है, और पाकिस्तान के पास फ्रांस निर्मित पनडुब्बियां हैं, तो फिर फ्रांस किसका सहयोगी है?
भारत की ओर से किए गए खुलासों के बाद पाकिस्तान लगातार खुद को बचाने में लगा हुआ है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि चीन और तुर्की का यह सहयोग महज व्यापारिक लेनदेन नहीं था, बल्कि रणनीतिक साझेदारी के रूप में था। भारत के सुरक्षा विश्लेषकों के अनुसार, पाकिस्तान को चीन से मिली रियल टाइम इंटेलिजेंस ने भारत की सैन्य तैयारियों पर सीधा असर डाला और इससे भारत को तीन मोर्चों पर एक साथ रणनीति बनानी पड़ी — पाकिस्तान, चीन और तुर्की।
इस पूरे प्रकरण को लेकर भारत में यह चर्चा तेज हो गई है कि पाकिस्तान अब सिर्फ एक देश के रूप में नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक गठबंधनों के सहारे भारत के खिलाफ मोर्चा खोल रहा है। वहीं पाकिस्तान इस बात को बार-बार नकारकर अपनी छवि को संभालने की कोशिश कर रहा है। ख्वाजा आसिफ की सफाई को विश्लेषक पाकिस्तान की रणनीतिक विफलता और अंतरराष्ट्रीय दबाव में आई प्रतिक्रिया मान रहे हैं।
भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान की सैन्य और कूटनीतिक रणनीति पर गहरे सवाल खड़े हुए हैं, और इस संघर्ष ने दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन के नए समीकरणों को जन्म दे दिया है। पाकिस्तान की ओर से बार-बार इनकार और सफाई देने से स्पष्ट है कि इस्लामाबाद फिलहाल दबाव में है और भारत द्वारा उजागर की गई सूचनाएं उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर कटघरे में खड़ा कर रही हैं।