Tuesday, July 1, 2025
Homeदेशभारत-पाक तनाव के बीच तुर्की के समर्थन पर व्यापारियों ने जताई नाराजगी,...

भारत-पाक तनाव के बीच तुर्की के समर्थन पर व्यापारियों ने जताई नाराजगी, तुर्की उत्पादों के बहिष्कार की मुहिम तेज

नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनावपूर्ण हालात का प्रभाव अब केवल कूटनीतिक सीमाओं में नहीं रह गया है, बल्कि यह देश के व्यापारिक वर्ग और आम नागरिकों के निर्णयों में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। तुर्किये (तुर्की) द्वारा खुले रूप से पाकिस्तान के पक्ष में बयानबाज़ी करने के बाद भारत में ‘बॉयकॉट तुर्की’ अभियान ने तेज़ी पकड़ ली है। महाराष्ट्र के पुणे से लेकर राजस्थान के उदयपुर तक व्यापारी तुर्की से आने वाले सामानों का बहिष्कार कर रहे हैं, जिससे आर्थिक मोर्चे पर तुर्की को जवाब देने की शुरुआत हो चुकी है।

Advertisement's
Advertisement’s

पुणे में सेब व्यापारियों का निर्णय: तुर्की से आयात बंद, ईरान व हिमाचल को प्राथमिकता

पुणे के प्रमुख फल बाजारों में तुर्की से आयातित सेबों की बिक्री पूरी तरह बंद कर दी गई है। फलों की थोक मंडी एपीएमसी में काम करने वाले फल व्यापारी सय्योग जेंडे ने बताया कि उन्होंने तुर्की से सेब मंगवाना पूरी तरह रोक दिया है। अब व्यापारियों का रुख हिमाचल, उत्तराखंड और ईरान जैसे वैकल्पिक स्रोतों की ओर है। उनका कहना है कि यह निर्णय केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि देशहित और जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

एक अन्य फल व्यापारी ने बताया कि तुर्की सेबों की मांग में लगभग 50 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। उपभोक्ता भी अब तुर्की के उत्पादों को स्पष्ट रूप से नकार रहे हैं। हर साल पुणे में तुर्की सेबों का कारोबार ₹1,000 से ₹1,200 करोड़ के बीच होता था, जो अब पूरी तरह बंद हो गया है।

पुणे के स्थानीय निवासियों ने भी इस फैसले का समर्थन किया है। एक ग्राहक ने कहा कि जब तुर्की जैसा देश पाकिस्तान के साथ खड़ा होता है, तो ऐसे देश से व्यापार करने की कोई आवश्यकता नहीं है। देश में ही पर्याप्त विकल्प मौजूद हैं। लोगों की मांग है कि सरकार ऐसे देशों के उत्पादों पर औपचारिक प्रतिबंध लगाए।

उदयपुर में मार्बल उद्योग का रुख सख्त, तुर्की से आयात पर पूर्ण रोक

राजस्थान का उदयपुर, जो एशिया का सबसे बड़ा मार्बल हब माना जाता है, वहां भी तुर्की के खिलाफ विरोध का स्वर तेज़ हो गया है। उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स कमेटी के अध्यक्ष कपिल सुराना ने जानकारी दी कि समिति के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि जब तक तुर्की पाकिस्तान का समर्थन करता रहेगा, उससे मार्बल का कोई व्यापार नहीं किया जाएगा।

कपिल सुराना के अनुसार, भारत में आयात किए जाने वाले कुल मार्बल में लगभग 70 प्रतिशत तुर्की से आता है। अब यह आयात पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि यदि देशभर की मार्बल व्यापारिक संस्थाएं भी इसी तरह का निर्णय लें, तो यह एक वैश्विक स्तर पर मजबूत संदेश जाएगा कि भारत की जनता और इंडस्ट्री सरकार के साथ है।

उनका मानना है कि यह निर्णय केवल विरोध का प्रतीक नहीं, बल्कि भारत के मार्बल उद्योग के लिए एक नया अवसर भी है। तुर्की से आयात बंद होने के बाद देश में खनन और निर्माण से जुड़े हजारों लोगों को लाभ मिलेगा, जिससे अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।

Advertisement's
Advertisement’s

राजनीतिक रुख का आर्थिक प्रभाव: व्यापार से भी मिलेगा जवाब

तुर्की द्वारा पाकिस्तान का बार-बार समर्थन किया जाना भारतीय व्यापारियों को खलने लगा है। उदयपुर के व्यापारियों का यह फैसला केवल एक आर्थिक प्रतिबंध नहीं है, बल्कि यह एक रणनीतिक सन्देश भी है कि भारत अब अपने विरोधियों को हर स्तर पर जवाब देने के लिए तैयार है।

- Advertisement -
समाचार झुन्झुनू 24 के व्हाट्सअप चैनल से जुड़ने के लिए नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करें
- Advertisemen's -

Advertisement's

spot_img
Slide
Slide
previous arrow
next arrow
Shadow
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

- Advertisment -

Recent Comments

error: Content is protected !!