झुंझुनू, 19 अप्रैल 2025: राजस्थान और हरियाणा के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाली महिलाओं को जाति प्रमाण पत्र बनवाने में गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। फैमिली आईडी (हरियाणा) और जन आधार कार्ड (राजस्थान) की नई व्यवस्था के चलते उन महिलाओं की पहचान अधूरी रह जाती है जो एक राज्य से विवाह के बाद दूसरे राज्य में रह रही हैं।

पहचान की दोहरी व्यवस्था से अटकी जाति प्रमाण पत्र की प्रक्रिया
हरियाणा की बेटियां जो राजस्थान में विवाह के बाद बहू बनकर रह रही हैं, उनका नाम हरियाणा की फैमिली आईडी में नहीं होता। इसी तरह राजस्थान की बेटियां जो हरियाणा में बहू बन चुकी हैं, वे जन आधार से बाहर रहती हैं। इससे न केवल उनका जाति प्रमाण पत्र अटकता है, बल्कि उन्हें राज्य सरकार की जन आधार आधारित योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पाता।
पूर्व राज्य के प्रमाण पत्र के आधार पर नए प्रमाण पत्र जारी करने की मांग
प्रभावित नागरिकों ने मुख्यमंत्री और संबंधित विभाग से निवेदन किया है कि तहसीलदार और एसडीएम स्तर पर निर्देश जारी किए जाएं कि यदि किसी महिला के पास पूर्व राज्य की सरकार द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र है, तो उसके आधार पर नया प्रमाण पत्र जारी किया जाए। साथ ही उस प्रमाण पत्र को जन आधार से लिंक कर दिया जाए ताकि वे सभी सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकें।
तकनीकी व्यवस्था से आमजन को हो रहा नुकसान
स्थानीय नागरिकों ने यह भी बताया कि फैमिली आईडी और जन आधार जैसी डिजिटल व्यवस्थाएं भले ही सुगमता के लिए बनाई गई हों, लेकिन जब तक इनमें पारदर्शिता और इंटरस्टेट समन्वय नहीं होगा, तब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले आमजन, विशेषकर महिलाएं, हमेशा परेशान रहेंगी।

राज्य सरकारों को चाहिए कि सीमावर्ती क्षेत्रों की विशिष्ट परिस्थितियों को समझते हुए डिजिटल दस्तावेज प्रणाली में लचीलापन लाएं। पूर्व प्रमाण पत्रों को वैध मानते हुए नई पहचान प्रणाली में समावेश कर आमजन को जाति प्रमाण पत्र बनवाने में सरलता प्रदान की जाए ताकि सरकारी योजनाओं का वास्तविक लाभ ज़रूरतमंदों तक पहुंच सके।