मॉरीशस: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दो दिवसीय यात्रा पर मॉरीशस पहुंचे, जहां उन्होंने भारत और मॉरीशस के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत हमेशा मॉरीशस के साथ खड़ा रहा है और दोनों देशों के बीच संबंध सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि पारिवारिक हैं। पीएम मोदी ने इस दौरान रक्षा सहयोग, आर्थिक विकास, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और प्रवासी भारतीयों के संबंधों को लेकर कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं।
भारत हमेशा मॉरीशस का पहला साथी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मॉरीशस की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि जब भी मॉरीशस किसी संकट में रहा, भारत ने सबसे पहले उसकी मदद की है। उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान भारत द्वारा भेजी गई एक लाख से अधिक वैक्सीन और जरूरी दवाओं का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने हमेशा मॉरीशस को प्राथमिकता दी है।
पीएम मोदी ने भारत और मॉरीशस के रक्षा संबंधों पर जोर देते हुए कहा कि दोनों देश इस क्षेत्र में मिलकर काम कर रहे हैं और भविष्य में भी यह सहयोग बढ़ता रहेगा। उन्होंने कहा, “भारत और मॉरीशस के बीच न केवल आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी है, बल्कि यह एक आत्मीय और ऐतिहासिक रिश्ता भी है।”

मॉरीशस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान स्वीकार किया
प्रधानमंत्री मोदी को मॉरीशस सरकार ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, “मैं इस सम्मान को विनम्रता से स्वीकार करता हूं। यह सिर्फ मेरा नहीं, बल्कि भारत और मॉरीशस के गहरे रिश्तों का सम्मान है।”
उन्होंने आगे कहा कि जब भी वे मॉरीशस आते हैं, उन्हें अपने परिवार जैसा एहसास होता है। “यहां की हवा, मिट्टी और पानी में अपनापन महसूस होता है।”
गिरमिटिया कॉन्फ्रेंस के आयोजन की घोषणा
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में जल्द ही एक गिरमिटिया कॉन्फ्रेंस आयोजित करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि इससे जुड़े ऐतिहासिक आंकड़ों को संकलित किया जा रहा है, जिससे दोनों देशों के ऐतिहासिक रिश्तों को नई पहचान मिलेगी। उन्होंने मॉरीशस के लोगों को इस सम्मेलन का हिस्सा बनने का न्योता दिया।
मॉरीशस विजन सागर के केंद्र में
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में विजन सागर की भी चर्चा की, जिसे उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान 2015 में लॉन्च किया था। उन्होंने कहा कि यह पहल “क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास” (SAGAR – Security and Growth for All in the Region) के सिद्धांत पर आधारित है, और इसमें मॉरीशस की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, “मॉरीशस सिर्फ एक रणनीतिक साझेदार नहीं, बल्कि भारत के लिए परिवार जैसा है। यह रिश्ता इतिहास, विरासत और मानवीय भावनाओं से जुड़ा हुआ है।”
बिहार से मॉरीशस का ऐतिहासिक जुड़ाव
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में बिहार का विशेष रूप से जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मॉरीशस के लोगों का बिहार से गहरा भावनात्मक संबंध है।
उन्होंने कहा, “दुनिया के कई हिस्सों में जब शिक्षा की कोई सुविधा नहीं थी, तब नालंदा विश्वविद्यालय बिहार में एक वैश्विक शिक्षा केंद्र था। हमारी सरकार ने नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से पुनर्जीवित किया है।”
उन्होंने यह भी कहा कि बिहार का मखाना अब वैश्विक स्तर पर चर्चा में है, और जल्द ही यह दुनिया भर में स्नैक्स मैन्यू का हिस्सा बनेगा।
महाकुंभ का पवित्र जल साथ लाए पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि मॉरीशस के कई लोग हाल ही में भारत में आयोजित महाकुंभ में शामिल हुए थे, लेकिन कई लोग चाहकर भी वहां नहीं जा सके। उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए वे पवित्र संगम का जल अपने साथ लाए हैं, जिसे मॉरीशस के प्रसिद्ध गंगा तालाब में अर्पित किया जाएगा।

उन्होंने कहा, “यह सिर्फ जल नहीं, बल्कि भारत और मॉरीशस की आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है।”
मॉरीशस के पीएम और उनकी पत्नी को ओसीआई कार्ड
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी घोषणा की कि मॉरीशस में प्रवासी भारतीयों की सातवीं पीढ़ी को OCI (Overseas Citizen of India) कार्ड की पात्रता दी जाएगी।
उन्होंने कहा, “मुझे मॉरीशस के राष्ट्रपति और उनकी पत्नी को ओसीआई कार्ड सौंपने का सौभाग्य मिला। इसी तरह मॉरीशस के प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी को भी यह सम्मान दिया गया है।”
राम मंदिर पर मॉरीशस की ऐतिहासिक सहभागिता
पीएम मोदी ने मॉरीशस में राम मंदिर को लेकर हुए उत्सव का जिक्र करते हुए कहा कि जब अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन हुआ, तब मॉरीशस ने भी इसे धूमधाम से मनाया था।
उन्होंने कहा, “जब भारत में 500 साल का इंतजार खत्म हुआ और अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई, तो मॉरीशस भी उत्सव में शामिल हुआ। यहां की सरकार ने आधे दिन की छुट्टी तक घोषित की थी। यह भारत और मॉरीशस के बीच गहरी आध्यात्मिक मित्रता का प्रतीक है।”
1998 की यात्रा को किया याद
पीएम मोदी ने 27 साल पहले की अपनी मॉरीशस यात्रा को भी याद किया। उन्होंने कहा कि 1998 में उन्हें अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन में भाग लेने का अवसर मिला था।
उन्होंने कहा, “तब मैं किसी सरकारी पद पर नहीं था, सिर्फ एक कार्यकर्ता के रूप में यहां आया था। संयोग देखिए कि तब भी नवीन जी (मॉरीशस के प्रधानमंत्री) इस पद पर थे और अब जब मैं प्रधानमंत्री बना, तो वे मेरे शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए।”