NASA: स्पेस एक्सप्लोरेशन में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, NASA चंद्रमा पर पहला मोबाइल नेटवर्क स्थापित करने की योजना बना रहा है। यह प्रक्षेपण NASA के Intuitive Machines द्वारा चलाए जा रहे IM-2 मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें Athena लैंडर गुरुवार को लॉन्च किया जाएगा। Athena लैंडर चंद्रमा की सतह पर लूनर सरफेस कम्युनिकेशन सिस्टम (LSCS) को स्थापित करेगा, जो चंद्रमा पर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। इस नेटवर्क के लिए Nokia द्वारा विकसित किए गए तकनीकी उपकरणों का उपयोग किया जाएगा, जो पृथ्वी पर इस्तेमाल की जाने वाली सेल्युलर टेक्नोलॉजी को चंद्रमा पर लागू करेंगे।
अंतरिक्ष में कठिन परिस्थितियों में टिकने वाला नेटवर्क
यह मोबाइल नेटवर्क चंद्रमा की कठिन परिस्थितियों में कार्य करने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है। यह नेटवर्क उच्च गुणवत्ता वाली वीडियो स्ट्रीमिंग, कमांड-एंड-कंट्रोल कम्युनिकेशन और टेलीमेट्री डेटा ट्रांसफर को लैंडर और लूनर व्हीकल्स के बीच सक्षम बनाएगा। Nokia Bell Labs Solutions Research के प्रेसिडेंट Thierry Klein के अनुसार, यह नेटवर्क अंतरिक्ष की कठिन परिस्थितियों को झेलने के लिए तैयार किया गया है। इसमें एक्सट्रीम टेम्परेचर, रेडिएशन, और लॉन्च-लैंडिंग के दौरान उत्पन्न होने वाली वाइब्रेशन्स जैसी चुनौतियों को सहन करने की क्षमता होगी।

Klein ने MIT Technology Review को बताया, “हमने सभी कंपोनेंट्स को एक ‘नेटवर्क इन ए बॉक्स’ में रखा है, जिसमें एंटेना और पावर सोर्स को छोड़कर सभी जरूरी चीजें शामिल हैं जो सेल नेटवर्क के लिए आवश्यक होती हैं।”
मिशन में शामिल लूनर व्हीकल्स और तकनीकी उपकरण
इस मिशन में दो प्रमुख लूनर व्हीकल्स शामिल होंगे: Intuitive Machines का Micro-Nova Hopper और Lunar Outpost का मोबाइल ऑटोनॉमस प्रॉस्पेक्टिंग प्लेटफॉर्म (MAPP) रोवर। ये व्हीकल्स Nokia के डिवाइस मॉड्यूल्स का इस्तेमाल करेंगे और Athena लैंडर द्वारा स्थापित नेटवर्क से कनेक्ट होंगे। हालांकि, यह नेटवर्क चंद्र रात्रि के कारण कुछ दिनों तक ही काम करेगा, फिर भी इस टेक्नोलॉजी का भविष्य के लूनर मिशनों के लिए व्यापक महत्व हो सकता है।
Artemis प्रोग्राम की नींव
इस नेटवर्क की सफलता NASA के Artemis प्रोग्राम के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करेगी, जिसका उद्देश्य 2027 तक इंसानों को चंद्र सतह पर वापस लाना है। Nokia का लॉन्ग-टर्म गोल इस नेटवर्क को विकसित करके चंद्रमा पर सस्टेनेबल ह्यूमन एक्टिविटीज़ को समर्थन प्रदान करना है। इसमें भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए स्पेससूट्स में सेल कम्युनिकेशन का इंटीग्रेशन भी शामिल हो सकता है। Klein ने कहा, “हमारे लिए यह एक बड़ा कदम है और भविष्य में हम नेटवर्क के विस्तार की योजना बना रहे हैं ताकि चंद्रमा पर परमानेंट हेबिटेट्स के विकास और लूनर इकोनॉमी को सपोर्ट किया जा सके।”

अंतरिक्ष के लिए खास डिजाइन
चंद्रमा पर मोबाइल नेटवर्क स्थापित करने के लिए Nokia के इंजीनियरों ने विशेष तकनीकी समाधानों पर काम किया है, ताकि यह नेटवर्क स्पेस की कठिन परिस्थितियों को सहन कर सके। रेडिएशन, एक्सट्रीम टेम्परेचर फ्लक्चुएशन्स और स्पेस ट्रैवल के दौरान उत्पन्न होने वाली वाइब्रेशन्स को झेलने के लिए इस नेटवर्क के कंपोनेंट्स को डिजाइन किया गया है। Klein ने कहा कि लॉन्ग-टर्म उपयोग के लिए नेटवर्क के लिए रेगुलेटरी चुनौतियों का सामना करना होगा, जिसमें एक अलग फ्रीक्वेंसी बैंड का चयन शामिल हो सकता है।
PRIME-1 एक्सपेरिमेंट: चंद्रमा के संसाधनों की खोज
NASA का Polar Resources Ice Mining Experiment 1 (PRIME-1) भी इस मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा। इस एक्सपेरिमेंट में चंद्र सतह में ड्रिल करके रेगोलिथ निकाला जाएगा और मैस स्पेक्ट्रोमीटर के माध्यम से उसमें मौजूद वोलाटाइल्स का विश्लेषण किया जाएगा। यह एक्सपेरिमेंट चंद्रमा के संसाधनों की संभावनाओं को उजागर करेगा और भविष्य में इन संसाधनों के उपयोग के लिए नए रास्ते खोलेगा।