Saturday, August 23, 2025
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1984 सिख विरोधी दंगे: सज्जन कुमार को आजीवन कारावास, पीड़ितों की मांग – ‘फांसी हो’

नई दिल्ली: 1984 के सिख विरोधी दंगे मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। यह सजा उन पर 1 नवंबर 1984 को सरस्वती विहार इलाके में पिता-पुत्र की हत्या से संबंधित मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद दी गई है। इस फैसले ने सिख समुदाय और पीड़ित परिवारों में मिश्रित प्रतिक्रिया उत्पन्न की है।

सज्जन कुमार की सजा पर पीड़ितों की नाराजगी

सज्जन कुमार को मिली आजीवन कारावास की सजा से पीड़ित महिलाएं और सिख समुदाय के कई सदस्य असंतुष्ट हैं। उनका कहना है कि सज्जन कुमार को फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी, क्योंकि उनके अनुसार यह एक गंभीर अपराध था, जिसने सैकड़ों निर्दोष लोगों की जान ली। सिख समुदाय के सदस्य सज्जन कुमार और कांग्रेस नेता कमलनाथ को फांसी देने की मांग कर रहे हैं, जो इस मामले में शामिल थे।

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कोर्ट का फैसला और पीड़ितों की प्रतिक्रिया

राउज एवेन्यू कोर्ट ने सज्जन कुमार को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या) और 436 (आगजनी) के तहत दोषी ठहराया। कोर्ट के फैसले के बाद, वरिष्ठ वकील एचएस फुल्का ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सज्जन कुमार की उम्र 80 वर्ष से अधिक है, इसीलिए उन्हें दो उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। फुल्का ने कहा, “यह एक ऐतिहासिक फैसला है, लेकिन सज्जन कुमार को फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी।”

1984 के सिख विरोधी दंगे का इतिहास

यह मामला 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों से जुड़ा है, जिसमें सिखों के घरों को जलाया गया, उनकी संपत्तियां लूटी गईं और सैकड़ों सिखों को बेरहमी से मारा गया। आरोप था कि सज्जन कुमार ने अपनी राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल कर हिंसा भड़काई और निर्दोष सिखों को निशाना बनाया।

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इसके तहत सज्जन कुमार पर दंगा, हत्या, और गैरकानूनी सभा आयोजित करने का आरोप था। पंजाबी बाग पुलिस स्टेशन में मामले की रिपोर्ट दर्ज की गई थी, लेकिन बाद में एक विशेष जांच दल ने इसकी जांच की। अदालत ने 16 दिसंबर 2021 को सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय किए थे।

विशेष जांच दल द्वारा मामले की पुन: जांच

इस मामले की जांच की जिम्मेदारी शुरू में पंजाबी बाग पुलिस स्टेशन को सौंपी गई थी, लेकिन बाद में विशेष जांच दल (SIT) ने इसे अपने हाथ में ले लिया था। SIT ने मामले की गहनता से जांच की और कई सालों के बाद इस मामले में न्याय दिलाने की कोशिश की।

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