रिपोर्ट के असहमति नोट पर मचा बवाल, ओवैसी बोले— ‘दबाई जा रही है हमारी आवाज’
नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। इस विवादित विधेयक पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट आज संसद में पेश की जाएगी। रिपोर्ट पेश करने की जिम्मेदारी समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल और सदस्य संजय जायसवाल के कंधों पर है। विपक्ष ने इस रिपोर्ट पर असहमति जताते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं।
रिपोर्ट पेश करने से पहले ही छिड़ा विवाद
जेपीसी की रिपोर्ट लोकसभा में प्रस्तुत किए जाने से पहले ही विपक्ष ने तीखे तेवर दिखाए हैं। बुधवार को समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर रिपोर्ट सौंपने की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया। पाल ने बताया,
“समिति ने रिपोर्ट और संशोधित विधेयक को स्वीकार कर लिया है। इस बार पहली बार एक नया प्रावधान जोड़ा गया है, जिसमें वक्फ संपत्तियों के लाभार्थियों में वंचित वर्ग, गरीब, महिलाएं और अनाथ शामिल किए गए हैं।”
पाल के अनुसार, समिति के सामने 44 खंडों पर चर्चा हुई, जिनमें से 14 में संशोधन प्रस्तावित किए गए थे। बहुमत के आधार पर इन संशोधनों को स्वीकार किया गया।
‘असहमति के सुर दबाने की कोशिश’—ओवैसी का आरोप
हालांकि, विपक्ष इन दावों से संतुष्ट नहीं है। असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि समिति ने उनके असहमति नोट के कुछ हिस्सों को जानबूझकर हटा दिया है। ओवैसी ने कहा,
“मैंने जेपीसी को वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ एक विस्तृत असहमति नोट सौंपा था। हैरानी की बात है कि मेरे नोट के कुछ हिस्सों को बिना मेरी जानकारी के हटा दिया गया। ये हिस्से केवल तथ्यात्मक जानकारी थे, न कि विवादास्पद बयान।”
उन्होंने जेपीसी के अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा,
“जगदंबिका पाल विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। समिति ने वही रिपोर्ट तैयार की है, जो सरकार के अनुकूल है।”
वक्फ अधिनियम: इतिहास और विवाद
वक्फ अधिनियम 1995 वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए बनाया गया था, लेकिन इसे लेकर लंबे समय से भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और अवैध अतिक्रमण के आरोप लगते रहे हैं। वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का उद्देश्य इन समस्याओं को दूर करना है।
इस विधेयक के प्रमुख प्रावधानों में शामिल हैं:
- वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण
- पारदर्शिता के लिए बेहतर ऑडिट प्रणाली
- अवैध कब्जों पर रोक लगाने के लिए मजबूत कानूनी तंत्र
- वक्फ संपत्तियों के लाभार्थियों के दायरे को बढ़ाना
हालांकि, विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों पर असर डाल सकता है और उनके हितों को नुकसान पहुंचा सकता है।
जेपीसी में अंदरूनी मतभेद: निष्पक्षता पर सवाल
रिपोर्ट के मुताबिक, समिति के अंदर मतभेद साफ नजर आए। जहां बहुमत के आधार पर रिपोर्ट को मंजूरी दी गई, वहीं विपक्ष के असहमति नोट पर उचित विचार नहीं किया गया। समिति के सदस्य संजय जायसवाल ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा,
“रिपोर्ट पूरी पारदर्शिता के साथ तैयार की गई है। असहमति नोट पर चर्चा की गई थी, लेकिन बहुमत का फैसला अंतिम होता है।”
आगे का रास्ता: क्या विधेयक बनेगा सियासी तूफान का कारण?
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के संसद में पेश होने के बाद इसके राजनीतिक प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। एक ओर सरकार इसे पारदर्शिता और जवाबदेही के नाम पर सुधार बता रही है, वहीं विपक्ष इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की अनदेखी के रूप में देख रहा है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि संसद में इस पर क्या रुख अपनाया जाता है। क्या सरकार इस विधेयक को पारित करवाने में सफल होगी या विपक्ष इसे एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाएगा?