कुर्रम, पाकिस्तान: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले में शिया और सुन्नी जनजातियों के बीच तनाव थमने का नाम नहीं ले रहा। संघर्ष विराम के बावजूद घोजाघरी, मतसानगर और कुंज अलीजई इलाकों में मंगलवार को छिटपुट झड़पें हुईं, जिनमें 10 लोगों की मौत हो गई और 21 अन्य घायल हो गए। यह हिंसा अफगानिस्तान सीमा के पास स्थित इस जिले में सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर स्थिति को दर्शाती है।
पिछले हफ्ते 47 लोगों की हुई थी मौत
झड़पों की शुरुआत पिछले शुक्रवार को पाराचिनार के पास यात्री वैन के काफिले पर हुए हमले के बाद हुई थी। इस हमले में 47 लोग मारे गए थे। हालांकि, इस हमले की जिम्मेदारी अभी तक किसी भी संगठन ने नहीं ली है। इसके बाद, दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया और लगातार हिंसक झड़पें होने लगीं।
संघर्ष विराम के प्रयास विफल
रविवार को प्रांतीय सरकार और दोनों संप्रदायों के बुजुर्गों के बीच बैठक के बाद सात दिवसीय संघर्ष विराम की घोषणा की गई थी। इसके बावजूद, हालिया झड़पों ने इस समझौते की स्थिरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पुलिस और प्रशासन का बयान
कुर्रम के डिप्टी कमिश्नर जावेदुल्लाह महसूद ने कहा कि संघर्ष को समाप्त करने के लिए हंगू, ओरकजई और कोहाट जिलों के बुजुर्गों की एक आदिवासी परिषद कुर्रम का दौरा करेगी। कोहाट संभाग के आयुक्त शांति प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। प्रशासन का कहना है कि इलाके में शांति बहाल करना प्राथमिकता है, लेकिन जमीनी स्तर पर हिंसा रुकने के आसार कम दिख रहे हैं।
स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित
कुर्रम जिला मुख्यालय अस्पताल के अधीक्षक डॉ. मीर हसन खान ने बताया कि हिंसा के चलते पाराचिनार की ओर जाने वाली सड़कें बंद हो गई हैं। इसके परिणामस्वरूप दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की कमी हो गई है, जिससे घायलों का इलाज प्रभावित हो रहा है। अस्पताल प्रशासन ने आपातकालीन सेवाओं के लिए उच्च अधिकारियों से मदद की अपील की है।