नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के बांसेरा पार्क में भगवान बिरसा मुंडा की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा देश की आजादी की जंग के महानतम नायकों में से एक थे। उनका जीवन आदिवासी समुदाय और देश की स्वतंत्रता के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
अमित शाह ने बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर उन्हें याद करते हुए कहा कि बिरसा मुंडा ने छोटी उम्र में ही जल, जमीन और जंगल जैसे मुद्दों को लेकर आदिवासी समाज को जागरूक किया। उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा ने न केवल आदिवासी संस्कृति की रक्षा की बल्कि अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की मशाल भी जलाई।
विशेषताएं: 3,000 किलो वजनी प्रतिमा
बिरसा मुंडा की प्रतिमा का वजन करीब 3,000 किलोग्राम है और इसे पश्चिम बंगाल के दो शिल्पकारों ने तैयार किया है। केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इसी मौके पर सराय काले खां ISBT चौराहे का नाम बदलकर ‘भगवान बिरसा मुंडा चौक’ करने की घोषणा की।
दो चरणों में बंटा जीवन: आदिवासी संस्कृति और स्वतंत्रता संग्राम
गृह मंत्री अमित शाह ने बिरसा मुंडा के जीवन को दो चरणों में विभाजित किया। पहला, आदिवासी संस्कृति की रक्षा और उसके प्रति प्रतिबद्धता। दूसरा, मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए सर्वोच्च बलिदान। उन्होंने कहा, “महज 25 वर्ष की आयु में भगवान बिरसा मुंडा ने अपने साहस और त्याग से ऐसा इतिहास रचा कि 150 साल बाद भी देश उनके प्रति कृतज्ञ है।”
आदिवासी क्षेत्रों के विकास पर जोर
अमित शाह ने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा आदिवासी क्षेत्रों के विकास और उनके उत्थान के लिए किए गए प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने आदिवासी समुदायों की आवश्यकताओं को प्राथमिकता देते हुए योजनाएं बनाई हैं।
भगवान बिरसा मुंडा: धरती आबा की प्रेरणा
भगवान बिरसा मुंडा, जिन्हें ‘धरती आबा’ के नाम से जाना जाता है, ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन छेड़ते हुए आदिवासी समाज को संगठित किया। उनकी कुर्बानी और योगदान को याद करते हुए हर साल 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ मनाने की परंपरा है।