Friday, August 22, 2025
Homeदेशउत्तराखंड के मदरसों में संस्कृत शिक्षा की पहल, अरबी भाषा का भी...

उत्तराखंड के मदरसों में संस्कृत शिक्षा की पहल, अरबी भाषा का भी होगा समावेश

उत्तराखंड: उत्तराखंड के मदरसों में अब संस्कृत के श्लोक भी गूंजने वाले हैं, क्योंकि उत्तराखंड मदरसा एजुकेशन बोर्ड ने संस्कृत भाषा को शामिल करने की तैयारी शुरू कर दी है। इस पहल के तहत मदरसों में अरबी भाषा की शिक्षा भी दी जाएगी। मदरसा एजुकेशन बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून काजमी ने इस नई योजना की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि संस्कृत और अरबी दोनों प्राचीन भाषाएं हैं और उनमें आपस में कई समानताएं भी पाई जाती हैं।

मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू, बच्चों को जोड़ने की कोशिश

मुफ्ती शमून काजमी ने कहा कि मदरसों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया गया है, जिससे मदरसों के छात्र अब मेन स्ट्रीम की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि 96.5% बच्चे परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं, जो दर्शाता है कि मदरसों की शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने कुछ गलतफहमियों के चलते इन बच्चों को मुख्यधारा से अलग कर दिया था, लेकिन अब मदरसा बोर्ड उन्हें वापस जोड़ने की दिशा में काम कर रहा है।

संस्कृत और अरबी के समन्वय की दिशा में प्रयास

मदरसों में संस्कृत भाषा की शिक्षा को लेकर मुफ्ती काजमी ने कहा, “हम चाहते हैं कि पंडितजी को अरबी भाषा आनी चाहिए और मौलाना साहब को संस्कृत।” उन्होंने आगे कहा कि भाषा किसी एक व्यक्ति या समुदाय की संपत्ति नहीं होती; जितना अधिक ज्ञान प्राप्त किया जाए, वह सभी के लिए फायदेमंद होता है। यह पहल समाज में आपसी दूरियों को कम करने और एक-दूसरे के प्रति समझ बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स की प्रतिक्रिया

हालांकि, इस पहल पर उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि मदरसा एजुकेशन बोर्ड की कोई मान्यता नहीं है और यह स्पष्ट नहीं है कि यहां के बच्चे किस शिक्षा प्रणाली के तहत पढ़ाई कर रहे हैं। शम्स ने कहा, “मदरसों में संस्कृत पढ़ाना एक अच्छी बात है, लेकिन मदरसा बोर्ड के अंतर्गत कौन सी परीक्षाओं में बच्चे पास होते हैं, यह स्पष्ट नहीं है क्योंकि यह बोर्ड न तो ICSE, CBSE या उत्तराखंड बोर्ड से जुड़ा हुआ है।” उन्होंने मदरसा बोर्ड को भंग करने की मांग करते हुए कहा कि मदरसों में पढ़ाई उत्तराखंड बोर्ड के मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम के अनुसार होनी चाहिए। शम्स ने यह भी कहा कि वेदों की पढ़ाई की बात भी पहले की गई थी, लेकिन अब तक मदरसों के पाठ्यक्रम में संस्कृत का समावेश नहीं किया गया है।

एक नया दृष्टिकोण

मदरसों में संस्कृत और अरबी भाषा की शिक्षा को लेकर जहां एक ओर मदरसा बोर्ड इसे सांस्कृतिक और शैक्षणिक समन्वय के रूप में देख रहा है, वहीं दूसरी ओर वक्फ बोर्ड का मानना है कि पहले मदरसा एजुकेशन बोर्ड की मान्यता पर स्पष्टता लानी होगी। इस विवाद के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि उत्तराखंड के मदरसों में इस नई शैक्षिक पहल का क्या असर होता है और यह किस प्रकार छात्रों को लाभ पहुंचा पाती है।

- Advertisement -
समाचार झुन्झुनू 24 के व्हाट्सअप चैनल से जुड़ने के लिए नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करें
- Advertisemen's -

Advertisement's

spot_img
Slide
Slide
previous arrow
next arrow
Shadow
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

- Advertisment -

Recent Comments

error: Content is protected !!