नई दिल्ली, 25 अगस्त 2024: दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले, सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) को एक बड़ा झटका लगा है। रविवार को AAP के पांच पार्षदों ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होने का निर्णय लिया। इस महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम ने न केवल दिल्ली की राजनीतिक स्थिति को हिला कर रख दिया है, बल्कि आम आदमी पार्टी के भीतर भी उथल-पुथल मचा दी है।
पार्टी छोड़ने वाले पार्षदों में राम चंद्र बवाना (वार्ड नंबर 28), पवन सहरावत बवाना (वार्ड नंबर 30), मंजू निर्मल (वार्ड नंबर 180), सुगंधा बिधूड़ी (वार्ड नंबर 178) और ममता पवन (वार्ड नंबर 177) शामिल हैं। इन पांचों पार्षदों के बीजेपी में शामिल होने के बाद आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती यह है कि वह अपने बाकी पार्षदों को एकजुट रख सके।

मंत्री सौरभ भारद्वाज का आरोप: देश में डर का माहौल
आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि देश में डर का माहौल बन गया है। उन्होंने कहा, “जिसे जाना है वह जाएगा। कौन किस वजह से पार्टी छोड़ने का निर्णय ले रहा है, इसकी मुझे जानकारी नहीं है, लेकिन इस समय देश में डर का माहौल बना हुआ है। दिल्ली में जो माहौल है, उसमें बीजेपी के सामने बड़े-बड़े अधिकारी नतमस्तक हैं, तो छोटे-छोटे पार्षद क्या हैं?”
सौरभ भारद्वाज ने आगे कहा कि इस प्रकार की घटनाओं से पार्टी के हौसले कम नहीं होंगे, बल्कि वह और भी मजबूती से जनता के लिए काम करेगी।
दिल्ली बीजेपी का आरोप: AAP के भ्रष्टाचार से नाराज थे पार्षद
दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इन पांच पार्षदों के पार्टी में शामिल होने का स्वागत करते हुए कहा कि ये सभी AAP के भ्रष्टाचार और काम न करने के रवैये से नाराज थे। उन्होंने कहा, “इन सभी पार्षदों ने एकमत से यह निर्णय लिया कि जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबको साथ लेकर चल रहे हैं, उसी तरह वे भी दिल्ली में अपने लोगों के लिए काम करना चाहते हैं। हम इन सभी पार्षदों का भारतीय जनता पार्टी में स्वागत करते हैं।”
राजनीतिक विश्लेषण: क्या है भविष्य की दिशा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले इस प्रकार का घटनाक्रम दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा मोड़ ला सकता है। आम आदमी पार्टी के भीतर असंतोष की स्थिति और बीजेपी के निरंतर बढ़ते जनाधार को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि दिल्ली की राजनीति में आगामी महीनों में कई और परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं।