बांग्लादेश-पाकिस्तान: बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर छात्रों के आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया है, जिसमें पाकिस्तान की बड़ी साजिश उजागर हुई है। खुफिया ब्यूरो के सूत्रों के अनुसार, हर छात्र की हत्या के लिए पांच हजार टका (लगभग 3500 रुपए) और पुलिसकर्मी की हत्या के लिए 10 हजार टका (लगभग 7000 रु.) की सुपारी दी गई थी। इस हिंसा के पीछे तीन अहम साजिशकर्ता सामने आए हैं।
साजिश का पर्दाफाश: लंदन से पाकिस्तानी एजेंट्स का कनेक्शन
इस साजिश का मुख्य मास्टरमाइंड बांग्लादेश के विपक्षी दल BNP का छात्र संगठन ‘युवा दल’ है, जो छात्रों का समर्थन करने का दावा कर रहा था। परंतु, इसका असली हैंडलर पाकिस्तान समर्थित जमात-ए-इस्लामी निकला। यह साजिश लंदन में रची गई, जहां BNP के सुप्रीमो तारिक रहमान स्वनिर्वासन में रह रहे हैं। तारिक ने लंदन में पाक एजेंट्स के साथ मिलकर इस फंड की व्यवस्था की थी, जिसे हवाला के माध्यम से ढाका में सुल्तान के पास भेजा गया था। सुल्तान को अब गिरफ्तार कर लिया गया है।
देशभर में तनाव: स्कूल-कॉलेज बंद, छात्रों के घरों में छापेमारी
बांग्लादेश में पिछले 11 दिनों से स्कूल-कॉलेज बंद हैं। 15 प्रमुख विश्वविद्यालयों के हॉस्टल खाली करा दिए गए हैं, और पुलिस ने इन हॉस्टलों में कैंप बना लिए हैं। पुलिस छात्रों के घरों में छापेमारी कर रही है।
नारायणगंज के इमरान का कहना है कि पांच दिन पहले उसके भाई मोहमदुल को पुलिस ने घर से उठा लिया था, और तब से उसका कोई पता नहीं है। इस हिंसा में अब तक 206 छात्रों की मौत हो चुकी है और 500 से ज्यादा लोग लापता हैं। ढाका, नारायणगंज, नरसिंगड़ी और गाजीपुर जिलों में अभी भी मियादी कर्फ्यू जारी है।
पुलिस पर हमला: पुलिस पैंट से पहचाना, सिर फोड़ा
ढाका में सब इंस्पेक्टर अब्दुल्ला पर छात्रों ने हमला किया, उन्हें उनकी पुलिस पैंट से पहचाना गया और सिर पर 45 टांके लगाने पड़े। अब्दुल्ला ने बताया कि सफेद शर्ट पहनने के बावजूद उन्हें पहचान कर हमला किया गया। हिंसा में अब तक 6 पुलिसकर्मियों की मौत हो चुकी है और 100 से अधिक घायल हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया: सेना की तैनाती, कर्फ्यू और फायरिंग के आदेश
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 19 जुलाई से देश में कर्फ्यू लगा दिया था, जिसमें सड़क पर हिंसा को रोकने के लिए सेना तैनात की गई। इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने का आदेश भी दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला: आरक्षण व्यवस्था में बड़ा बदलाव
बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई को एक आदेश जारी करते हुए सरकारी नौकरियों में आरक्षण को 56% से घटाकर 7% कर दिया। इसमें से स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार वालों को 5% आरक्षण मिलेगा, जबकि एथनिक माइनॉरिटी, ट्रांसजेंडर और दिव्यांगों के लिए 2% आरक्षण निर्धारित किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अब 93% नौकरियां मेरिट के आधार पर दी जाएंगी।