मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले के मामले में आतंकवादी अजमल कसाब के खिलाफ गवाही देने वाली सबसे कम उम्र की प्रत्यक्षदर्शी देविका रोटवान ने महाराष्ट्र आतंक रोधी दस्ते (एटीएस) के प्रमुख हेमंत करकरे की शहादत पर एक बयान दिया है जिसने राजनीतिक विवाद को उभारा है।
कांग्रेस नेता विजय वडट्टीवार के टिप्पणी का विवाद है, जिन्होंने हेमंत करकरे की शहादत को उठाया और उनकी विरासत पर सवाल उठाया। उन्होंने यह भी दावा किया कि करकरे की मौत कसाब की गोली से नहीं हुई थी, बल्कि एक राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े पुलिसकर्मी की गोली का शिकार हो गए थे।
देविका रोटवान ने इस पर विरोध प्रकट किया और कहा कि इस प्रकार के बयान देने से वार्ता का मूल्य कम होता है और आतंकी हमले की याद को उजागर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “आप हमारे घाव को कुरेद कर उसपर नमक छिड़क रहे हैं। अगर आप राजनीति करना चाहते हैं तो दूसरे विषयों पर करें लेकिन इसपर नहीं।”
देविका के पैर में लगी थी गोली
देविका के दाहिने पैर में गोली लगी थी, जिस कारण उन्हें लंबे समय तक बैसाखी के सहारे चलना पड़ा। इतना ही नहीं देविका, कसाब के मुकदमे के दौरान अदालत में गवाही देने वाली सबसे कम उम्र की चश्मदीद गवाह बनी और आखिर में आतंकी को फांसी की सजा दी गयी। उन्होंने कहा, “अगर वह (वडट्टीवार) पाकिस्तान का समर्थन करना चाहते हैं तो भारत में क्या कर रहे हैं?” देविका ने कहा कि उज्ज्वल निकम के खिलाफ आरोप गलत हैं क्योंकि उस वकील ने देश के लिए बहुत कुछ किया है और कसाब को फांसी पर चढ़ाने में मदद की है।
देविका का कांग्रेस नेता पर तीखा हमला
देविका ने अपनी गवाही के दौरान कहा कि वडट्टीवार को इस देश में रहने का अधिकार नहीं है। कांग्रेस नेता पर निशाना साधते हुए देविका ने कहा- “उज्ज्वल निकम ने न देश से झूठ बोला और न ही धोखा दिया। अगर आपको कसाब के कसीदे पढ़ने हैं तो पाकिस्तान जाइये।”