नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि सरकारी बैंकों के कर्मचारियों को दिए गए ब्याज मुक्त या रियायती दर पर लोन का लाभ ‘अनुलाभ’ है और इसलिए यह आयकर अधिनियम के तहत कर योग्य होगा। यह फैसला न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने बैंक कर्मचारियों के संगठन ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन (AIBOF) द्वारा दायर याचिका पर सुनाया था।
क्या है मामला?
AIBOF ने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) द्वारा निर्धारित ब्याज दर मनमानी है और यह अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करती है। उन्होंने यह भी मांग की थी कि जीरो या कम ब्याज वाले लोन को कर योग्य नहीं माना जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायालय ने AIBOF की याचिका खारिज कर दी, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि विभिन्न बैंकों द्वारा दी जाने वाली अलग-अलग ब्याज दरों पर कानूनी विवादों से बचने के लिए SBI की ब्याज दर को बेंचमार्क के रूप में इस्तेमाल करना उचित है।
न्यायालय ने कहा कि नियोक्ता द्वारा दिए गए ब्याज मुक्त या रियायती दर वाले लोन निश्चित रूप से ‘फ्रिंज बेनिफिट’ और ‘अनुलाभ’ के दायरे में आते हैं और इसलिए इन पर कर लगाया जाना चाहिए।
इस फैसले का क्या मतलब है?
इस फैसले का मतलब है कि अब सरकारी बैंक कर्मचारियों को जीरो या कम ब्याज वाले लोन पर भी टैक्स देना होगा। यह उन कर्मचारियों के लिए एक बड़ा झटका है जो इन लोन का लाभ उठा रहे थे।
विशेष टिप्पणी:
- यह फैसला केवल सरकारी बैंक कर्मचारियों पर लागू होता है। निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को दिए गए लोन पर टैक्स देना होगा या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि उनके सेवा शर्तों में क्या कहा गया है।
- यह फैसला उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो अपने नियोक्ता से लोन लेते हैं। उन्हें यह पता लगाना होगा कि क्या उनका लोन कर योग्य है और यदि हां, तो उन्हें कितना टैक्स देना होगा।