नई दिल्ली: दिल्ली की राजनीति में बड़ा उलटफेर करते हुए सीलमपुर के विधायक अब्दुल रहमान ने आम आदमी पार्टी (आप) से इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थाम लिया है। उन्होंने पार्टी और उसके राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पर मुसलमानों के अधिकारों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है।
सोशल मीडिया पर इस्तीफे का ऐलान
अब्दुल रहमान ने सोशल साइट एक्स पर अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए लिखा, “आज मैं आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं। पार्टी ने सत्ता की राजनीति में उलझकर मुसलमानों के अधिकारों को नजरअंदाज किया। अरविंद केजरीवाल ने हमेशा जनता के मुद्दों से भागकर अपनी राजनीति की। इंसाफ और हक की लड़ाई लड़ता रहूंगा।”
पहली लिस्ट में कटा था टिकट
आप ने 21 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की थी। इसमें सीलमपुर विधानसभा से मौजूदा विधायक अब्दुल रहमान का नाम नहीं था। उनकी जगह जुबैर खान को प्रत्याशी बनाया गया था। इस फैसले के बाद से ही अब्दुल रहमान और पार्टी के बीच तनातनी की खबरें सामने आ रही थीं।
दूसरी लिस्ट में 20 नए उम्मीदवारों के नाम
आप ने 8 दिसंबर को अपनी दूसरी सूची जारी की, जिसमें 20 नए प्रत्याशियों के नाम शामिल किए गए। इन नामों में नरेला से दिनेश भारद्वाज, तिमारपुर से सुरेंद्र पाल सिंह बिट्टू, और चांदनी चौक से पुनर्दीप सिंह साहनी जैसे उम्मीदवारों को जगह मिली।
उन्होंने पत्र में लिखा,
आदरणीय अरविंद केजरीवाल जी,
मैं अब्दुल रहमान, विधायक (सीलमपुर विधानसभा)। आज भारी मन से आम आदमी पार्टी की सदस्यता और पार्टी से इस्तीफा देने का निर्णय ले रहा हूं। यह निर्णय मेरे लिए आसान नहीं था, लेकिन पार्टी के नेतृत्व और नीतियों में जिस तरह से मुसलमानों और अन्य वंचित समुदायों की उपेक्षा की गई है, उसके बाद यह मेरा नैतिक कर्तव्य बन गया है।
मुसलमानों के प्रति पार्टी की बेरुखी
पार्टी की स्थापना के समय मैंने इसे एक ऐसी पार्टी माना था, जो धर्म, जाति, और समुदाय से ऊपर उठकर जनता की सेवा करेगी। लेकिन बीते वर्षों में आम आदमी पार्टी ने बार-बार यह साबित किया है कि वह केवल वोट बैंक की राजनीति करती है और जब किसी समुदाय के अधिकारों की रक्षा की बात आती है तो पार्टी चुप्पी साध लेती है। दिल्ली दंगों के दौरान आपकी सरकार का रवैया बेहद निराशाजनक रहा। दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए न कोई ठोस कदम उठाए गए, न ही कोई सहानुभूति प्रकट की गई।
दंगों में झूठे आरोपों में फंसाए गए हमारे साथी ताहिर हुसैन को न सिर्फ पार्टी से निष्कासित किया गया, बल्कि उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया।
दिल्ली मरकज और मौलाना साद को कोरोना महामारी के दौरान निशाना बनाया गया। पार्टी ने इस मामले पर न तो कोई रुख अपनाया और न ही मुसलमानों के खिलाफ किए गए भ्रामक प्रचार का खंडन किया। हाल ही में, संबल दंगों जैसे संवेदनशील मुद्दे पर आपने एक ट्वीट तक करना जरूरी नहीं समझा।
पार्टी का दावा था कि वह ईमानदार और पारदर्शी राजनीति करेगी, लेकिन आज वह भी अन्य दलों की तरह सत्ता की राजनीति में उलझ चुकी है।
मुसलमानों के मुद्दों पर आपकी चुप्पी और बेरुखी ने मुझे और मेरे समुदाय को बार-बार ठगा हुआ महसूस कराया।
पार्टी का नेतृत्व अब जनता के बजाय अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को प्राथमिकता दे रहा है।
मैं सीलमपुर की जनता के लिए काम करता रहूंगा और उनके अधिकारों और हकों के लिए संघर्ष करूंगा। मैं जल्द ही अपनी राजनीतिक दिशा और आगामी कदमों की घोषणा करूंगा। मेरा मकसद हमेशा जनता की सेवा करना और उनके अधिकारों की रक्षा करना रहेगा।
आम आदमी पार्टी ने न केवल मेरे जैसे नेताओं को ठगा, बल्कि उन लोगों को भी निराश किया, जिन्होंने आप पर भरोसा किया था। मेरा यह इस्तीफा उन लोगों की आवाज़ बनकर रहेगा, जिन्हें पार्टी ने अनदेखा किया और उनका हक छीनने का प्रयास किया। आशा है कि आप और पार्टी नेतृत्व अपने रवैये पर आत्ममंथन करेंगे।
धन्यवाद।
दो बेटियों की शादी में आप नेताओं की मौजूदगी
इस्तीफे के ऐलान से कुछ दिन पहले ही अब्दुल रहमान ने अपनी दो बेटियों की शादी का आयोजन किया था। इस आयोजन में दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी समेत कई वरिष्ठ आप नेता शामिल हुए थे।