Sunday, June 29, 2025
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सीमाओं की रक्षा के लिए चिड़ावा से विदेश तक गुंजायमान हुई हनुमान चालीसा, श्रीराम परिवार की अनूठी पहल, देश-विदेश में एक साथ सेना के जवानों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना

चिड़ावा, 12 मई 2025: भारतीय सेना के वीर जवानों की सुरक्षा और कुशलता के लिए श्रीराम परिवार ने एक अभिनव प्रयास करते हुए देश की सीमाओं से दूर विदेशों तक एक साथ हनुमान चालीसा का पाठ आयोजित किया। इस विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन चिड़ावा स्थित प्रसिद्ध हनुमान मंदिर और द्वारकाधीश मंदिर में किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में आस्थावान श्रद्धालुओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

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श्रीराम परिवार के तत्वावधान में संपन्न हुए इस भक्तिमय कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने हनुमान जी महाराज से भारत की सीमाओं की अटूट सुरक्षा और देश की सेवा में समर्पित भारतीय सेना के जवानों की सलामती के लिए भावपूर्ण प्रार्थनाएं कीं। इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने अपने हाथों में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा थामकर यह दृढ़ संकल्प व्यक्त किया कि श्रीराम परिवार सदैव भारतीय सेना के साथ एक मजबूत स्तंभ की तरह खड़ा रहेगा।

इस धार्मिक और देशभक्ति के जज्बे से ओतप्रोत कार्यक्रम में श्रीराम परिवार के प्रमुख सदस्यों, जिनमें डॉ चंद्रमोली पचरंगिया, नवीन सोनी, पवन शर्मा नवहाल, अमित सैनी उर्फ गोलू, सुरजीत सैनी, मनीष जांगिड़, रजनीकांत मिश्रा, कृष्ण डस्सा, मनीष शर्मा, अमित चोटियां, कृष्ण स्वामी और शेरा नरहड़ प्रमुख रूप से शामिल थे, ने सक्रिय भूमिका निभाई। इनके अतिरिक्त, लोक सेवा ज्ञान मंदिर ट्रस्ट के राधेश्याम सुखाड़िया भी इस महत्वपूर्ण आयोजन का हिस्सा बने। राजकुमार, रिछपाल, शरद कुमार, शुभकरण बजाज, मुकेश ककरानिया, मूलचंद नरडिया, अमित वर्मा, गौरव शर्मा, विराट, मोहित, मीताग और मोक्ष सहित अनेक अन्य श्रद्धालु और माताओं ने भी इस सामूहिक प्रार्थना में अपनी श्रद्धा अर्पित की।

श्रीराम परिवार के सदस्य राहुल सोलंकी ने अपने साथियों के साथ विदेश में रहते हुए भी सोशल मीडिया के माध्यम से इस सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ में सक्रिय रूप से भागीदारी की। उन्होंने दूर होते हुए भी वहां हनुमान चालीसा का पाठ कर भारत माता की रक्षा करने वाले वीर सैनिकों के लिए अपनी আন্তরিক प्रार्थनाएं भेजीं।

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यह अनूठा और सराहनीय प्रयास यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि श्रीराम परिवार की गहरी आस्था और राष्ट्र के प्रति उनका अटूट समर्पण किसी भी भौगोलिक सीमा में बंधा हुआ नहीं है। यह आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान मात्र नहीं था, बल्कि यह भारतीय सेना के प्रति उनके अटूट समर्थन और उनकी प्रबल राष्ट्रभक्ति का एक शक्तिशाली और प्रेरणादायक संदेश था, जिसने सभी उपस्थित लोगों को गर्व और कृतज्ञता के भाव से भर दिया।

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