पिलानी, 18 सितंबर 2024: सीएसआईआर-सीरी, पिलानी में लघु उद्योग भारती के साथ एक औद्योगिक गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें संस्थान द्वारा विकसित नवीनतम तकनीकों और वर्तमान में चल रही प्रमुख परियोजनाओं का प्रदर्शन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य सीएसआईआर प्रयोगशालाओं द्वारा विकसित 100 तकनीकों, ज्ञान और उत्पादों को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को 100 दिनों के भीतर हस्तांतरित करना था। इस महत्वपूर्ण गोष्ठी के दौरान सीएसआईआर और लघु उद्योग भारती के बीच महत्वपूर्ण एमओयू भी हुआ है।
संस्थान में आयोजित महत्वपूर्ण गोष्ठी में लघु उद्योग भारती के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व अखिल भारतीय अध्यक्ष घनश्याम ओझा और महासचिव ओम प्रकाश गुप्ता ने किया। साथ ही इस अवसर पर संगठन से जुड़े अन्य अतिथि एवं उद्यमी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे। सीएसआईआर की ओर से डॉ. महेश कुमार और दीप्ति ने गोष्ठी में प्रतिभागिता की। इस बैठक में उद्योग भारती के तत्वावधान में 50 उद्यमी एवं एमएसएमई के प्रतिनिधि उपस्थित हुए।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. पीसी पंचारिया (निदेशक, सीएसआईआर-सीरी) ने संस्थान के शोध क्षेत्रों एवं वर्तमान में चल रही विभिन्न अनुसंधान और विकास गतिविधियों की जानकारी दी एवं प्रतिनिधिमंडल को तकनीकी हस्तांतरण के बाद हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। डॉ. मनीष मैथ्यू, (वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक और प्रमुख, तकनीकी व्यवसाय प्रभाग) ने संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों एवं उत्पादों के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया तथा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (ToT) की प्रक्रियाओं की भी जानकारी दी। इस आयोजन का समन्वयन डॉ. मनीष मैथ्यु एवं प्रमोद तँवर (प्रमुख PME) ने कुशलतापूर्वक किया।
कार्यक्रम के दौरान, प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसमें सीएसआईआर-सीरी की वैज्ञानिक और तकनीकी टीमों ने विभिन्न प्रौद्योगिकियों एवं उत्पादों का प्रदर्शन किया। प्रतिनिधिमंडल ने इलेक्ट्रॉनिक्स साइंस म्यूज़ियम और प्रिसीजन एग्रीकल्चर रिसर्च स्टेशन का भी दौरा किया।
सीरी की शोध गतिविधियों पर प्रतिनिधिमंडल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए इस बैठक एवं गोष्ठी के आयोजन की सराहना की। घनश्याम ओझा ने कहा कि इससे हमारे उद्यमी प्रेरित हुए हैं और निश्चित रूप से एमएसएमई के माध्यम से उत्पादकता, प्रतिस्पर्धा और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। यह सहयोग शोध प्रयोगशाला और उद्योगों के बीच बेहतर सम्बन्ध स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो एमएसएमई के लिए टेक्नोलॉजी द्वारा संचालित विकास को प्रोत्साहित करेगा। यह साझेदारी ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ मिशनों को बल देने में भी सहायक होगी।